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लघुकथा : कीमत (गणेश जी बागी)

शास्त्री जी बहुत खुश हैं, नए घर का आज गृह प्रवेश समारोह है ।  विदेश से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट की पढ़ाई पूर्ण कर इकलौता बेटा भी कल घर पहुँच गया था ।
"पापा, गेस्ट आ गये हैं आप कहें तो डिनर स्टार्ट करवा दूँ"
"नहीं बेटा, कुछ विशिष्ट अतिथियों का मैं इन्तजार कर रहा हूँ पहले वो आ जाएँ फिर भोजन प्रारम्भ कराते हैं" शास्त्री जी ने बेटे को समझाया ।
"विशिष्ट अतिथि कौन पापा ?"
"इस घर को अपने श्रम और पसीने से बनाने वाले मिस्त्री और मजदूर"
"उफ्फ ! आप भी न पापा, उनको उनकी कीमत दे दी, बात ख़त्म"
"बेटा, पसीने की कीमत देने की औकात मुझ में क्या किसी में नहीं है, शायद यह बात मैनेजमेंट में नहीं पढ़ाई जाती ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>अतुकांत कविता - नि:शब्द

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:33pm

आदरणीया मीना पाठक जी, लघुकथा पर आप की उपस्थिति और सराहना हर्षकारी है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:30pm

आभार प्रिय राहुल देव जी, स्नेह बना रहे |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:30pm

//हमें जाग्रति के ऐसे सन्देश साहित्य के माध्यम से समाज को देने चाहिए i  बागी जी की सशक्त सोच के समक्ष मै नतमस्तक हूँ i //

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, नतमस्तक तो मैं हूँ , आप जैसे वरिष्ठ साहित्यकार से प्रसाद पाना आह्लादित करता है, हैम सभी भाग्यशाली हैं जो आप जैसे गुणीजन का संरक्षण प्राप्त है, बहुत बहुत आभार आदरणीय |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:26pm

आदरणीय गुरुदेव श्री योगराज जी, लघुकथा पर आपसे आशीर्वाद पाना सदैव पुरस्कार सदृश रहा है, आपकी टिप्प्णी मुग्धकारी है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:24pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज कुमार नीर जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:23pm

प्रिय शुभ्रांशु भाई, लघुकथा जब आपसे निकल जाती है तो लगता है कि बात बन गई, उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी हेतु बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:21pm

आदरणीय शिज्जु शकूर जी, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी हेतु बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2013 at 4:20pm

आदरणीय भंडारी भाई साहब, लघुकथा पर आपकी उपस्थिति और आशीर्वाद हर्षकारी है, बहुत बहुत आभार, स्नेह बना रहे |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 9:23am

काश कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट में अनमोल पसीने की कीमत समझ सकने वाली इंसानियत भी सिखाई जाती...

सुन्दर संदेशपरक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आ० गणेश जी 

Comment by Abhinav Arun on December 11, 2013 at 3:26pm
ऐसी रचनाएं इस लिए ज़रूरी है आ. श्री बागी जी कि आज हम इस सोच से परे हो रहे हैं. हमने हर चीज़ को पैसो से तोलना सीखा है संवेदना और मानवीय समझ सरोकार किताबी होते जा रहे हैं । इस सशक्त सार्थक कथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें !

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