For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शातिर (अतुकांत) ---गणेश जी बागी

बादलों से ढँका
नीला नही काला आकाश,
उचाईयों को मापता
उन्मुक्त पंछी,
चट्टान की ओट मे
फाँसने को आतुर बहेलिया,
आहा ! इधर ही आ रहा मूर्ख
फँसेगा, ज़रूर फँसेगा,
ओह ! बच गया,
शायद भांप गया । 

पुनः पेड़ की ओट मे,
वाह ! इधर ही आ रहा दुष्ट
आएगा इस बार
इस तीर की ज़द मे,
उफ्फ ! बच गया
बड़ा चालाक है
खैर, कब तक । 

हरे काले सफेद

रंगो से पुता
आवरण युक्त चेहरा
झाड़ियों के मध्य समाहित
दम साधे बहेलिया,
सनसनाता तीर
आ गिरा ज़मीन पर
शातिर कही का !
बादलों से मुक्त हुआ आकाश
और साथ मे
आवरण विहीन चेहरा भी |

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>लघुकथा : गिफ्ट

Views: 996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:50am

उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु दिल से आभार व्यक्त करता हूँ आदरणीय अरुण निगम जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:50am

आभार आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:47am

आदरणीय सौरभ भईया जी, यह तुच्छ प्रयास आपको अच्छा लगा यही मेरे लिए बहुत है, ह्रदय से आभार प्रेषित है । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:37am

उत्साह्वार्धित करती टिप्पणी हेतु ह्रदय से आभार आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:35am

धन्यवाद ज्ञापित है वीनस जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:34am

सराहना हेतु आभार आदरणीय सुशिल जोशी जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 8:59am

//वास्तव में शातिर शब्द बहेलिये की हतप्रभता को बयां करता है। क्योंकि पंछी तो शातिर हो ही नही सकता।//

आदरणीय केवल भाई जी, आपके अन्दर के पाठक को नमन है, आपकी टिप्पणी वाकई उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 18, 2013 at 12:32am

आदरणीय गणेश जी, शायद आपकी अतुकांत रचना पहली बार देख रहा हूँ, पंक्तियों के साथ चित्र उभरते रहे हैं, बधाई स्वीकार कीजिये.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 18, 2013 at 12:15am

सुंदर भावनात्मक रचना, बहुत बहुत बधाई आदरणीय गणेश जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 11:13pm

वाह ! भाई गणेशजी, पहली तो यही बधाई कि आपकी काव्य-रचना बहुत दिनों बाद आयी है. ऊसर का नाश हुआ और फूल खिले, गुलशन हुआ ! आपकी इस सकारात्मक प्रयास से मन प्रसन्न है.  

प्रस्तुत अतुकान्त रचना वैचारिक स्तर की रचना है. इसमें तार्किकता और भावना का सुगढ समायोजन उतना ही चाहिये ताकि संतुलन से रचना का तथ्य स्वीकृत हो सके.

बहेलिया वस्तुतः शातिर नहीं होता, निर्दयी भले होले. आखेट उसका पेशा होता है, वह आखेटक होता है. और पक्षी से उसका सम्बन्ध क्रमशः भोग्या  और भोगी का होता है. उस हिसाब से वह किसी पक्षी को किसी प्रतिकार या द्वेष से नहीं पकड़ता या मारता. वह उससे अपना परिवार पालता है. अतः वह जालबद्ध पक्षी के प्रति मूर्ख या बच निकले के प्रति चालाक आदि शब्द भले प्रयुक्त करे, दुष्ट जैसे क्रोधावेशित या ऐसे ही शब्द प्रयुक्त नहीं करता या करेगा.

फिर, प्रस्तुत वैचारिक रचना पर भाई केवल प्रसाद जी ने बहुत सटीक विन्दु साझा किया है. पक्षी शातिर न होगा. तो उसी तरह बहेलिया भी शातिर नहीं हो सकता. कारण मैं ऊपर ही कह चुका हूँ कि निर्दयी होना एक बात है और शातिर होना अलहदी बात. अतः रचना प्रस्तुति के क्रम में ऐसे आग्रही और उत्कट भाव उबाल भले लेलें, सान्द्र हो लें, भले छलक लें, पक्षी और बहेलिया के बिम्ब को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं. 
वैसे यह मेरी समझ है. आवश्यक नहीं कि मान्य ही हो.

वैसे कई विद्वानों ने रचना की खुल कर प्रशंसा कर दी है तो मैं अपने इन विचारों को सादर ही निवेदित कर रहा हूँ.


वैसे, आपको पुनः बधाई कि रचनाकर्म के क्रम में काव्य-रचना का गैप बन रहा था, समाप्त हुआ.
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ.
शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
34 minutes ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
36 minutes ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
37 minutes ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
41 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
42 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
43 minutes ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
2 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service