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बता दो क्या कर लोगे

बता दो क्या कर लोगे

सूरज के ही आगे पीछे रहती है बस  धूप,

बता दो क्या कर लोगे 

उनका पेट भरेगा, तेरी भांड में जाए भूख ,

बता दो क्या कर लोगे 

तेरे ही काँधे पर चढ़कर छोड़ेंगे बन्दूक,

बता दो क्या कर लोगे 

बेटा उनका आगे होगा, तुम्ही जाओगे छूट, 

बता दो क्या कर लोगे 

काला होगा धन उनका जब तेरा पैसा लूट,

बता दो क्या कर लोगे 

कुर्सी तेरी वो बैठेंगे, तुम बस देना घूस,

बता दो क्या कर लोगे

 

मौलिक और अप्रकाशित  

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Comment

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Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:31am

बहुत खूब भड़ास निकली है आपने वर्तमान व्यवस्था के प्रति! 

//बेटा उनका आगे होगा, तुम्ही जाओगे छूट//,,,, बहुत शानदार कथ्य 

//सूरज के ही आगे पीछे रहती है बस  धूप,// ये केवल समझ नही आया क्युकी सूरज के पीछे तो रात्रि रहती है!!!

शुभकामनायें !! 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 6, 2013 at 7:06pm

वाह डाक्टर साहब ! जनता बेचारी क्या कर सकती है, वह तो परिस्थिति की मारी है, ताने तो नेता ही देगा और घुर्रायेगा |

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 6, 2013 at 11:28am

पारिस्थित, प्रशासन, व्यस्था तीनों के प्रति आक्रोश साथ ही बेबसी को शब्द देती प्रस्तुति के लिए बधाई आ० डॉ० ललित जी 

Comment by Shyam Narain Verma on July 6, 2013 at 10:01am

Bahot khoob jee..........

Comment by coontee mukerji on July 6, 2013 at 2:56am

कभी कभी इंसान हालात के आगे कितना मजबूर हो जाता है.ये पंक्तियों इसकी मजबूरी बयाँ कर रही है.

तेरे ही काँधे पर चढ़कर छोड़ेंगे बन्दूक,

बता दो क्या कर लोगे 

बेटा उनका आगे होगा, तुम्ही जाओगे छूट, 

बता दो क्या कर लोगे 

काला होगा धन उनका जब तेरा पैसा लूट,

बता दो क्या कर लोगे 

कुर्सी तेरी वो बैठेंगे, तुम बस देना घूस,

बता दो क्या कर लोगे

 

Comment by ajay sharma on July 5, 2013 at 11:53pm

wah wah wah guru ji iiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiireally readable ....so cute

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