For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलियां

सुधार के बाद पुनः प्रस्तुत

हॅसी हुदहुद खंजन से, पिकहु कूक रहि जाय।

बुलबुल मैना खग गुने, सुगा भी टेटियाय।।

सुगा भी टेटियाय, काग कांव कांव करता।

चातक बया तिलेर, टिटेहरी टेर कसता।।

बगुला रखता मौन, हंस गौरैया सरसीं।

मयूर बुलाय कौन, खिलखिल सब चिडि़यां हॅसीं।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 13, 2013 at 8:16pm

आदरणीय बृजेश कुमार सिंह जी,  जी सर, सुधार कर दिया है। अब आशा करता हूं कि आप को आनन्द मिल सकेगा। आपका आदर सहित हार्दिक आभार,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 13, 2013 at 8:09pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी,  जी सर, बसंत में बहुत सारी चिडि़यों को एक साथ चीं चीं करते सुन कर मेरे मन मे बस यूं ही विचार उठा कि सारी चिडि़यां  फागू के रंग मे रंग कर एक दूसरे से हसीं ठिठोल कर रहीं हैं।  चूंकि मोर तो बरसात में नाचता है, इसलिए उसे कौन बुलाय..कह कर सारी चिडि़यां हॅस कर उड़ गयी।  जी सर, पता नहीं क्यों मुझसे ऐसी गलतियां हो रही है।  एक तो मुझे कम्प्यूटर का कम ज्ञान है। और कुछ जल्दी भी हो जाती है।  जी सर, अब आशा करता हूं कि आप को  आनन्द मिल सकेगा। आदर सहित हार्दिक आभार,

Comment by बृजेश नीरज on April 13, 2013 at 8:03pm

अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकारें। शेष आदरणीय रक्ताले साहब ने आपको मार्गदर्शन दिया ही है। 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 13, 2013 at 7:37pm

सुधार...
हॅसी हुदहुद खंजन से, पिकहु कूक रहि जाय।
बुलबुल मैना खग गुने, सुगा भी टेटियाय।।
सुगा भी टेटियाय, काग कांव कांव करता।
चातक बया तिलेर, टिटेहरी टेर कसता।।
बगुला रखता मौन, हंस गौरैया सरसीं।
मयूर बुलाय कौन, खिलखिल सब चिडि़यां हॅसीं।।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 13, 2013 at 7:23pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, मुझे लगता है आपने कुण्डलिया छंद पर प्रयास किया है. सुन्दर प्रयास है. एकाध जगह मात्रा गणना में त्रुटी हुई है मगर जहां मैं चाहता हूँ काम की आवश्यकता है वह प्रथम और अंतिम पंक्ति में है. प्रथम पंक्ति का मुझे अर्थ ही समझ नहीं आया की आप क्या कहना चाह रहे हैं. और अंतिम पंक्ति में " मयूरा नाचे कौन, खिल खिल सब चिड़ियाँ हँसी"  मित्र बात अधूरी रह गयी. मुझे आशा है आप जैसा भावपूर्ण रचनाओं का रचनाकार इसे पल में सुधार लेगा.सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service