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"ग़ज़ल "

आज बेमौत मर रहा होगा,
जो सवालों से डर रहा होगा ।

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।

खंडहर आज तक सलामत है 
नींव कहती है घर रहा होगा 

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।

रौशनी हर कदम पे साथ रही,
"दीप" सा हमसफ़र रहा होगा ।

  • संदीप पटेल "दीप"

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Comment

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Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on February 18, 2013 at 10:52pm

पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी

ये कचरा आज बाहर फेंक दो तुम भी


यहाँ मासूम सपने जी नहीं पाते

इन्हें कुंकुम लगा कर फेंक दो तुम भी

संदीप तोमर जी क्या आप अधोलिखित नियम उपर्युक्त लिखी दुष्यन्त जी की गजल को उदाहरण बनाकर समझा सकते हैं ??

Comment by sandeep tomar on February 18, 2013 at 10:41pm

विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी ji आप खुद ही कह रहे है अधकचरी जानकारी। फिर क्या कहूँ 

 इतना जरुर  है की मुकम्मल गजल के लिए अआप दुष्यंत त्यागी को जरुर पढ़ें 
हर तुकबंदी गजल नहीं होती तुकबंदी मई भी कर लेता हूँ पर मैं गजलकह पाता  हूँ ऐसा नहीं है।
 मुझे गजल कहनी नहीं आती पर पढनी जरुर आती है 
वैस ईटीओ आज कल विन मात्राओं का लिहाज किये शेर  दोहे चोपाई सब लिखी जा रही हैं 
Comment by sandeep tomar on February 18, 2013 at 10:35pm

गजल लिखने में कुछ तरीके इस्तेमाल होते है जैसे अगर कोई शेर लघु मात्र से शुरू किया तो अगला शेर भी उसी मात्र से शुरू हो तो गजल सही है 

अगर गजल  के शेर का पहला शब्द तीन अक्षर का है ओ हर शेर इअसे ही लिखे। 
 हर शेर की लम्बाई बराबर हो अगर शेर का पहला शब्द लघु दीर्ध फिर लघु है तो हर बार ये ही नियम लागु रखें 
इसी तरह और भी बहुत सी बातें है जो लिखने से साथ साथ निखार प् आएँगी 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 10:14pm

आदरणीय भाई किशन जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 10:14pm

आदरणीया वेदिका जी सादर

आपकी सराहना और शुभकामनाएं सर आँखों

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 10:12pm

आदरणीय भाई विन्ध्येश्वरी जी सादर

इस हौसलाफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया वन्धुवर

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by वेदिका on February 18, 2013 at 10:03pm

मुझे तो अच्छी लगी गजल ... 

शुभकामनायें !

Comment by वेदिका on February 18, 2013 at 9:59pm

बाग़ की झुरमुटों में हलचल है,
नव युगल प्यार कर रहा होगा ।

शानदार शेर ...! शुभकामनायें !! 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 18, 2013 at 9:59pm

भाई संदीप तोमर जी!मेरी अधकचरी जानकारी के मुताबिक संदीप भाई की गजल एक मुकमम्ल गजल है।इसमें कफिया है-"अर",रदीफ है-"रहा होगा"।
आपको इसमें कफिया एवं रदीफ क्यों नहीं मिल रहा है या तो आप जाने या ईश्वर।

फिल्हाल संदीप कुमार पटेल भाई जी को हार्दिक बधाई।इन पंक्तियों के लिये विशेष रूप से-
//अपने होने लगे हैं बेगाने,
कोई तो कान भर रहा होगा ।

खँडहर वो ही हुआ करता है,
जो कभी एक घर रहा होगा ।

गुल छुपाने का फायदा क्या है,
बनके खुशबू बिखर रहा होगा ।//

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 18, 2013 at 9:49pm

आदरणीय संपादक महोदय जी आपका बहुत बहुत आभार

यदि कुछ गलती के बारे में पता चले तो अवश्य बताइयेगा सर जी ताकि हम यथा उचित सुधार कर सकें

ये स्नेह बनाये रखिये

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