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सामने आ तू कभी ख़्वाब में आने वाले....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1122 1122 22

सामने आ तू कभी ख़्वाब में आने वाले
क्या मिला तुझको मेरी नींद उड़ाने वाले (1)

ऐसा लगता है कि आने का इरादा ही नहीं
वर्ना महशर में भी आ जाते हैं आने वाले (2)

चंद लम्हे भी अगर बंद हुई हैं पलकें
आ ही जाते हैं नये ख़्वाब दिखाने वाले (3)

क्या ग़जब है कि नये लोग चले आए हैं
घर में पहले से ही थे आग लगाने वाले (4)

मैं इस उम्मीद में बस आज तलक ज़िंदा हूँ
लौट आएँगे कभी छोड़ के जाने वाले (5)

मैं कभी अपने ही वादे से मुकर जाता हूँ
भूल जाते हैं कभी मुझको बुलाने वाले (6)

अब तो लगता है कि सब भूल गए हैं मुझको
याद आते हैं बहुत मुझको भुलाने वाले (7)

पीछे हटता हूँ कभी उनकी मदद लेने से
खींच लेते हैं कभी हाथ बढ़ाने वाले (8)

*मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2020 at 2:47pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

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