For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ख़त हमारे अगर जलाता है ; ग़ज़ल नूर की

२१२२/ १२१२/ २२ (११२)
ख़त हमारे अगर जलाता है
राख दुनिया को क्यूँ दिखाता है.
.
हम को उम्मीद है तो ग़ैरों से,
कौन अपनों के काम आता है?
.
सुन रखी होगी आग जंगल की
क्यूँ शरर को हवा दिखाता है.
.
शम्स मुझ सा शराबी है शायद 
शाम ढलते ही डूब जाता है.
.
ज़र्द चेहरा है बाल बिखरे हैं
इस तरह कौन दिल लगाता है.
.
देख! दुनिया का कुछ नहीं होगा
ख्वाहमखाह इस में सर खपाता है.
.
इस पे चलता है रब्त का धंधा
कौन क्या है औ क्या कमाता है.
.
“नूर” जुगनू सही मगर फिर भी
तीरगी को तो मुँह चिढ़ाता है.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 1095

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 25, 2017 at 5:44pm

शुक्रिया आ बलराम जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 25, 2017 at 5:44pm

शुक्रिया आ. अफरोज़ जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 25, 2017 at 5:44pm

शुक्रिया आ. रवि जी , देर से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ 

Comment by Balram Dhakar on December 25, 2017 at 4:27pm

आदरणीय नीलेश जी, बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है। बधाई।
सादर।

Comment by Afroz 'sahr' on November 3, 2017 at 5:50pm
आदरणीय निलेश जी इस रचना पर बधाई आपको,
"ख़्वाहमखाह" की तक्तीअ में उलझ गया हूँ कृपा कर मेंरा मार्ग दर्शन करें सादर,,,,
Comment by Ravi Shukla on November 3, 2017 at 3:06pm
आदरणीय नीलेश जी उम्दा गजल कही आपने शम्स मुझ सा शराबी है, और मक्का खासतौर से पसंद आया इसके लिए अलग से मुबारकबाद कुबूल कीजिए पूरी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद
Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 3, 2017 at 1:40pm

शुक्रिया आ. अजय तिवारी जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 3, 2017 at 1:40pm

शुक्रिया आ. बृजेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 3, 2017 at 1:40pm

शुक्रिया आ. डॉ छोटेलाल जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 3, 2017 at 1:40pm

शुक्रिया आ. डॉ आशुतोष जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service