For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आखिर
२१२/२१२/२१२/२

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या।

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या।

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या।

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या।

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hemant kumar on March 2, 2017 at 5:19pm
परम आदरणीय शुक्ला जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
सादर....
Comment by Ravi Shukla on March 2, 2017 at 3:37pm

आदरणीय हेमंत जी  शिज्‍जु भाई ने स्‍प्‍ष्‍ट कर दिया है काफिया बहुवचन में होने के कारण हैं सही शब्‍द होगा रदीफ का । हमारे कहने का आशय यही है । सादर

Comment by Hemant kumar on March 1, 2017 at 1:02pm
परम आदरणीय शिज्जु शकूर जी इस तरह समझाने के लिए दिली शुक्रिया कबुल करें।कृपया-
हालात ,अस्मात,शहरात शब्दों पर भी प्रकाश डालें ताकि मै इन शब्दो को बदल या सुधार सकूँ और बेहतर ग़ज़ल हो सके।
सादर.....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 1, 2017 at 11:09am

आ. हेमंत कुमार जी प्रयास अच्छा है शेष आ. रवि शुक्ल जी ने बता ही दिया है। उनके कहने का आशय यह है कि आपकी ग़ज़ल में ज्यादातर काफिए बहुवचन में हैं इसलिए रदीफ में है को हैं से प्रतिस्थापित कर दुबारा ग़ज़ल कही जाए तो ग़ज़ल बेहतर हो जाएगी क्योंकि है।

Comment by Hemant kumar on February 28, 2017 at 8:16pm
परम वन्दनीय श्री शुक्ला जी आपने मुझ जैसे नवजात के लिए समय निकाला ये मेरे लिए परम सौभाग्य से कम नही !
मुझे आपने जो सुझाव दिया है, अर्थ ग्रहण मे कठिनाई हो रही है-
रहनुमाई की बरसात है (को-हैं करने से है क्या)क्या
हमारे भाटापारा छत्तीसगढ़ मे बस स्टेंड में एक पंक्चर वाले भैया की दुकान है और वो मुसलमान है (बिहार से), मैने उनसे ही शहरात, हालात,अस्मात ,हवालात जैसे शब्दों के अर्थ पूछ लिए थे।सादर....
क्या आपका सारगर्भित अर्थ यह था कि रदीफ मे है को सुधारकर हैं कर लिया जाय या इसका कोई अन्य मतलब था ।
एक बार पुनः प्रकाश डालें ये अमृत वर्षा से कम नही होगी! और मै जी उठूंगा.....
Comment by Ravi Shukla on February 28, 2017 at 10:56am

आदरणीय हेमंत जी गजल कहने का अच्‍छा प्रयास हुआ है इसके लिये दिली बधाई हाजिर है

रहनुमाई की बरसात है क्या।
फिर चुनाओं के हालात हैं क्या। इस मिसरे में चुनावों शब्‍द के अनुसार  हालात ( बहुवचन है और ) हैं क्‍या  होगा और आपका रदीफ बदल जाएगा एक वचन और बहुवचन का ध्‍यान रखना होगा

झुठ भी बोलो अगर तो सही है,
ये सियासत के शहरात है क्या। शहरात का अर्थ नहीं समझ पाएं हम यहा भी बहुवचन होने से हैं क्‍या होगा रदीफ बदल जाएगा

शह्र मे आग है फिर पुरानी ,
दंगो से फिर ये हालात है क्या। हालात हैं क्‍या  रदीफ बदल गया

चीखें फिर से सुनाई दे कोई,
बहनों के लूटे अस्मात है क्या। अस्‍मात लफ्ज पर संशय है हो सकता है आप सही हैं हमने इस रूप में कभी नहीं पढ़ा

लोग कितने मजे से यहाँ हैं,
शह्र के ये हवालात हैं क्या।

रदीफ में हैं क्‍या अधिकतर मिसरों में है इसलिये मतले के उला मिसरे में आप रदीफ को हैं क्‍या कर के इसको सुधार सकते है । बाकी शुभ शुभ । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
15 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service