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महिला दिवस (बेटियाँ) दोहे

बेटी  ऐसी  बेल  है, ऊपर तक चढ़ जाय!
भले-बुरे संग खुश रहे,कभी न तोड़ा जाय!!

बेटी प्यारी दूब सी, नरम बिछौना जान!
गाट-गाट जोड़त रहे,खुशहाली की शान!!

बुलबुल कोकिल मैना सी,कूक रहे दिन-रात!
मात-पिता का अंतिम मन,बेटी घर ससुराल!!

अंतिम इच्छा बेटी हो, जैसे कन्या - दान!
इससे बड़ा यजन नही, बढ़े जहाँ में मान!!

सुबह दुपहर शाम पुत्री, बाल-बूढ़ा-जवान!
खुशी-दुखी-सम-सार है, जीवन मंदिर मसान!!


(के.पी.सत्यम)
मौलिक एवम् अप्रकाशित रचना

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Comment

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Comment by mrs manjari pandey on March 11, 2013 at 7:24pm

  केवल प्रसाद जी  सचमुच बेटी ऐसी बेल है ऊपर तक जो जाये  बहुत  अच्छे दोहे।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 11, 2013 at 11:16am

सुन्दर सन्देश देते दोहे, दोहे (१३-११) की गणना में चुक हुई है, कृपया देखे, यह सतत अभ्यास से ही सुधरती है | बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 10, 2013 at 7:38am

बहुत ही सुन्दर!

बेटी प्यारी दूब सी, नरम बिछौना जान!
गाट-गाट जोड़त रहे,खुशहाली की शान!!

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2013 at 7:17pm

adarneey kewal g  bahot khoob...kahi kahi mtrik dosh hai...use thoda dekh le

कृपया ध्यान दे...

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