For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छू दो तुम.. . / फिर
सुनो अनश्वर ! 

थिर निश्चल
निरुपाय शिथिल सी
बिना कर्मचारी की मिल सी
गति-आवृति से
अभिसिंचित कर
कोलाहल भर
हलचल हल्की.. .

अँकुरा दो
प्रति विन्दु देह का   
लिये तरंगें
अधर पटल पर.. . !

विन्दु-विन्दु जड़, विन्दु-विन्दु हिम
रिसूँ अबाधित 
आशा अप्रतिम.. .
झल्लाये-से चौराहे पर
किन्तु चाहना की गति
मद्धिम !

विह्वल ताप लिए
तुम ही / अब
रेशा-रेशा 
खींचो तन पर.. . !!

***************
--सौरभ
***************

Views: 983

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 3:24pm

आदरणीया सरिता जी,आपको रचना पसंद आयी यह मेरे लिए भी संतोष की बात है.

सादर

Comment by Sarita Bhatia on May 31, 2013 at 9:42am

आदरणीय सौरभ जी सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 6, 2013 at 3:07pm

आदरणीय दिगम्बर नासवाजी, जहाँ तक मुझे याद है, आप ग़ज़ल के अलावे मेरी कोई पहली रचना देख रहे हैं.

रचना को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 6, 2013 at 3:02pm

भाई गणेशजी, आपको यह रचना यथोचित प्रेरक लगी यह रचना को मिला सबसे उपयुक्त सम्मान है.

बहुत-बहुत धन्यवाद

Comment by दिगंबर नासवा on March 6, 2013 at 1:22pm

नव बिम्ब संजोए ... नए अंदाज़ से चाहत को जोड़ने का प्रयास ... 

सुन्दर नव गीत ...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 26, 2012 at 9:04pm

इस नवगीत को पढ़ने के बाद नवगीत विधा मे रूचि अवश्य बढ़ गई है, सुन्दर शब्द समूह और खुबसूरत बिम्ब रचना को एक नवीन आयाम प्रदान करते हैं, बधाई आदरणीय सौरभ भईया |

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 26, 2012 at 6:00pm

जी सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 26, 2012 at 1:04pm

आदरणीय अशोकभाई, आपको रचना पसंद आयी इस हेतु हार्दिक धन्यवाद. नवगीत नयी विधा अवश्य है लेकिन बहुत ही प्रसिद्ध विधा है.

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 25, 2012 at 7:09pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, नवगीत कविता सामान ही अभिव्यक्ति का सुन्दर रुप है. कुछ कुछ समझ सका हूँ देखकर जो की आपने आदरणीय राजेश झा जी को समझाने का प्रयास किया है. सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2012 at 12:09am

आदरणीय विजय साहब, आपको मेरा प्रयास भला लगा यह आपकी गुण-ग्राहकता है. आपका सादर आभार .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service