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रेल सड़क सब जाम है, उफान में नदियाँ,
वर्षा जल न भूजल कर, बिता रहे सदियाँ // 
 
नदिया सब जोड़ी नहीं, बाढ़ खा रही खेत, 
बाढ़ खा रही खेत सब, किसान हुए अचेत //
 
नदी नाले अवरुद्ध हुए, बस गए वहां अमीर,
कच्ची बस्ती बेघर हुए, विस्थापिक फकीर //
 
बाढ़ नियंत्रण कक्ष बना, नेताओ का दौरा,
नेताओ का दौरा हुआ, राहत घड़ा है कौरा //
 
वर्षा जल यूँ न बहाओ, इसको भूजल करो,
वर्षा जल संग्रहण कर, ताल तलैया भरो //
 
धरती में समाए जल, पीने को मिले जल,
तड़फे न कोई प्यासा,जीव जंतु और जन // 
 
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2012 at 10:16am
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. प्राचीजी, आप के बहुमूल्य सुझावों से मै कृत्य हूँ | कृपया स्नेह 
सहयोग का क्रम बनाए रक्खे | 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2012 at 9:51am

वर्षा जल संग्रहण पर बहुत खूबसूरत रचना प्रयास आदरणीय लाडिवाला जी..

यह रचना दोहों के काफी करीब है, आप ज़रा से और प्रयास से इसे खूबसूरत दोहों का रूप दे सकते हैं ...
इस हेतु हार्दिक बधाई .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 3, 2012 at 9:46am

रचना पसंद आई, मेरा प्रयास सफल हुआ,हार्दिक धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2012 at 7:29pm

सार्थक सन्देश देती हुई बहुत अच्छी रचना बधाई लक्ष्मण जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 2, 2012 at 12:54pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद श्री अरुण कुमार पाण्डेय 'अभिनव' जी 

Comment by Abhinav Arun on September 2, 2012 at 11:32am

सामयिक सार्थक और सकारात्मक सन्देश परक रचना के लिए हार्दिक साधुवाद आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी !!

कृपया ध्यान दे...

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