For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाँच क्षणिकाएं सन्दर्भ चन्द्रमा

पांच क्षणिकाएं - चंद्रमा
 
(१)
रिश्ता नजदीक का 
दक्ष प्रजापति के जंवाई 
रिश्ते में कड़वाहट आई 
सती का आग्रह
भोलेनाथ साडू भाई आए 
आ चन्द्र को शीश बैठाए
(2)
चाँद की दरयादिली 
सूरज बाबा से 
आतप पाए 
घोल अमृत उसमे 
धरती पर 
शीतलता लुटाए |
(3)
चाँद की कलाएं 
कभी घटती 
फिर बढती,
समुद्र में 
उथल-पुथल लाती 
जिंदगी क्या है,
यह समझाती |
(4)
चंदा को देखो 
कभी चांदनी फैलावे   
अम्मा सुई को पोती 
कभी मेघो में छुप जावे 
माँ बोली, 
उसका तुमको सिखलाना   
है आँख-मिचोली खिलाना | 
(5)
चंदा मामा 
कभी टुकड़ा सा 
कभी पूरा गोला  
जैसे जीवन में 
सुख-दुःख 
कभी धुप कभी छाँव 
जिन्दगी का खेला |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 2, 2012 at 6:16pm

हार्दिक धन्यवाद भाई सौरभ पाण्डेय जी, आपके सानिध्य में प्रयास सफल होता 

लग रहा है, उसके लिए आपका आभार 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 11:02pm

लक्षमण भाईजी, आपने चाँद के विभिन्न मिथकीय और भौगोलिक रूप का वर्णन किया है.

बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 4:05pm

 

हार्दिक आभार आपका आदरणीय श्री गणेश जी बागी 
आपका वरद हस्त यूँ ही बनाए रखे 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 4:02pm

 अनुपम.अलौकिक शब्द, आप जब लिखते है 

सुन्दर विचारों के भाव,  आप तब चखते है  //
आप नालायक नहीं, सब तरह लायक है,
आपकी ललक दर्शाती, सीखने लायक है //
रचना भाव पसंद कर, बढाया है मान 
आभारदीपक आपका, बढा रहे शान //

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 3:42pm

सभी क्षणिकाएं एक पर एक हैं, बधाई लक्षमण प्रसाद जी |

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 1, 2012 at 12:49pm
अनुपम,अलौकिक हर रचना आपकी अतिसुन्दर बिचार  आपके आशीर्वाद से हम नालायक भी कुछ सीख जायेंगे....  
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
19 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
20 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
4 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
23 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service