For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांसारिक कर्मों संग, याद रहे प्रभु नाम। 

ईश कृपा बनी रहे, बन जाएँ सब काम॥

2.

जैसा जैसा समय हो, वैसे होते काम।

चिंता काहे हम करें, मदद करें श्री राम॥ 

3.

कोमल तन कटि क्षीण सी, सुंदर मोहक रूप।

वेणी नागिन सी बनी, चंचल नयन अनूप ॥

4.

कर्म कमाई आपकी, बदले सब संस्कार।

अनुचित अर्जित संपदा, हो दुख का आधार॥ 

5.

दुर्योधन ने कब  किया, मित्रोचित व्यवहार।

दिया स्वार्थवश कर्ण को, अंग राज्य उपहार॥

6

बेटी विवाहित मत करें,प्रतिदिन सीख सलाह।

बसते घर अब उजड़ते, बढ़े कलह अरु ढाह ॥

7.

मोबाइल पर दे रही ,माँ जब सीख सलाह ।

मुश्किल घर तब बसना, कैसे हो निर्वाह ॥

स्वरचित मौलिक 

ओम प्रकाश शर्मा।  

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chetan Prakash on September 4, 2021 at 11:59am

नमस्कार, शर्मा जी, 'सुन्दर उज्ज्वल रूप' तीसरे दोहे का सम चरण है, किन्तु मात्रा एं बारह हैं! ' बदले यहाँ संस्कार' चौथे दोहे का द्वितीय चरण, मात्राओं की संख्या तेरह है! 'मित्रोचित व्यवहार' पांचवा दोहा, द्वितीय चरण, मात्राओं की संख्या दस है! 'बेटी विवाहित मत करें' छठवें दोहे का प्रथम चरण, लेकिन चौदह मात्राएँ हैं! शर्मा जी कई स्थलों पर प्रवाह ही नहीं है! सादर 

Comment by Samar kabeer on September 3, 2021 at 12:21pm

जनाब ओमप्रकाश जी आदाब, आपके दोहे अभी बहुत समय चाहते हैं, लिखना चाहते हैं, पहले भी आपकी बताया था,अगर आप दोहे लिखना चाहते हैं तो आपको इसका विधान पढ़ना होगा ।

Comment by मनोज अहसास on September 2, 2021 at 11:55pm

आपने बहुत अच्छे दोहे लिखे आदरणीय सादर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service