For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dipak Mashal's Blog – December 2012 Archive (6)

लघुकथा: अधार्मिक

देश के प्रतिष्ठित सरकारी हस्पतालों में से एक में गर्मियों की दोपहर को डॉक्टरों के विश्राम कक्ष में बैठकर लस्सी पीते हुए, वे चारों डॉक्टर आपस में देश-दुनिया की 'गंभीर' चर्चा में लगे हुए थे। अचानक उनमे से एक की नज़र अपनी कलाई घड़ी पर घूम गई, जिसकी सुइयां उनके लिए निर्धारित विश्राम के समय से कुछ ज्यादा ही आगे घूम गईं थीं। उसने हड़बड़ाते हुए अपनी कुर्सी छोड़ी और बाकी के साथियों को घड़ी की तरफ इशारा करते हुए बोला-

- जरा टाइम देखो डियर, तुम लोगों का भी राउंड का वक़्त हो गया है।

- अबे बैठ…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 26, 2012 at 6:37am — 11 Comments

लघुकथा: नाक और पेट

एक तो उसके पिता जी के वकालत के दिनों में ही घर की माली हालत ठीक नहीं थी, तिस पर अचानक हुई उस दुर्घटना ने गरीबी में आटा गीला करने का काम किया। घर-गहने बिका देने वाले इलाज़ ने किसी तरह पिता जी की जान तो बचा ली गई लेकिन उनकी रीढ़ की हड्डी टूटने ने ना सिर्फ उन्हें बल्कि घर की अर्थव्यवस्था को ही अपाहिज बना दिया। खेलने-खाने के दिनों में जब उसने सिर पर घर के छः सदस्यों की जिम्मेवारी को मह्सूस किया तो गेंद-बल्ला सब भूल गया। पढ़ाई के साथ-साथ ही कुछ काम करने के बारे में सोचा। वामन पुत्र था और…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 17, 2012 at 7:47pm — 6 Comments

चर्चा के विषय

ज्यादा क्या कोई फर्क नहीं मिलता

हुक्के की गुड़गुड़ाहटों की आवाज़ में

चाहे वो आ रही हों फटी एड़ियों वाले ऊंची धोती पहने मतदाता के आँगन से

या कि लाल-नीली बत्तियों के भीतर के कोट-सूट से...

नहीं समझ आता ये कोरस है या एकल गान

जब अलापते हैं एक ही आवाज़ पाषाण युग के कायदे क़ानून की पगड़ियां या टाई बांधे

हाथ में डिग्री पकड़े और लाठी वाले भी

किसी बरगद या पीपल के गोल चबूतरे पर विराजकर

तो कोई आवाजरोधी शीशों वाले ए सी केबिन में..

गरियाना तालिबान को,…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 15, 2012 at 11:30pm — 7 Comments

तुम्हें चुप रहना है

तुम्हें चुप रहना है

सीं के रखने हैं होंठ अपने

तालू से चिपकाए रखना है जीभ

लहराना नहीं है उसे

और तलवे बनाए रखना है मखमल के

इन तलवों के नीचे नहीं पहननी कोई पनहियाँ

और न चप्पल

ना ही जीभ के सिरे तक पहुँचने देनी है सूरज की रौशनी

सुन लो ओ हरिया! ओ होरी! ओ हल्कू!

या कलुआ, मुलुआ, लल्लू जो भी हो!

चुप रहना है तुम्हें

जब तक नहीं जान जाते तुम

कि इस गोल दुनिया के कई दूसरे कोनों में

नहीं है ज्यादा फर्क कलम-मगज़ और तन घिसने वालों को…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 14, 2012 at 3:03pm — 13 Comments

लघुकथा: हराम-हलाल

मुझे थोड़ा बुरा तो लगा जब उसकी थाली में खाना परोसते वक़्त उसने मुझसे पूछा 

- ये चिकन किस दूकान से खरीदा था तुमने?

- वही पिकाडेली सर्कस स्टेशन के बाहर निकलते ही सीधे हाथ पर जो शॉप है ना, वहीं से

- ओत्तेरे की! यार मुझे कुछ वेज हो तो खाने को दे दो, वो स्साला गोरा हलाल मीट नहीं बेचता और तुम जानते ही हो कि मैं हराम नहीं खा सकता..

खैर कैसे भी मैंने जल्द-फल्द उसके लिए आलू-मटर की सब्जी तैयार कर दी थी। लेकिन अगले दिन जब ऑफिस में बॉस के गैरहाजिर होने पर उसे कम्प्युटर पर ताश का कोई गेम…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 11, 2012 at 10:45pm — 13 Comments

अर्द्धनास्तिक (लघुकथा)

आस्तिक के आ को ना में बदलने में उसे काफी वक़्त लगा था, ऐसा होने के लिए सिर्फ विज्ञान का विद्यार्थी होना ही सबकुछ नहीं होता। कई बार उसने खुद बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान पत्रों को जर्नल्स में प्रकाशित होने के लिए भेजते समय, कभी गणेश, कभी जीसस तो कभी वैष्णोदेवी की तस्वीरों के आगे आँखें मूँदते देखा था। कुछ उसका मनन था, कुछ चिंतन, कुछ किताबें, कुछ संगत और कुछ दुनिया से उस अलौकिक शक्ति की ढीली पड़ती पकड़, जिन्होंने मिलजुलकर उसे दुनिया में तेज़ी से बढ़ रही इंसानी उपप्रजाति 'नास्तिक' बना…

Continue

Added by Dipak Mashal on December 9, 2012 at 7:39pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service