For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरिराज भंडारी's Blog – November 2013 Archive (8)

गर्म हवा है खूब यहाँ की ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

गर्म हवा है खूब यहाँ की

************************

2 2  2 2  2 2   2 2

.

जो भी मुझसे सम्बंधित है

सुख पाने से वो वंचित है

 

मौन यहाँ है सबसे…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 30, 2013 at 5:00pm — 22 Comments

!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!! ( गिरिराज भंडारी )

!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!!

किस तरह से

मै बचा लूँ

टूटते विश्वास को

 

लोग कहते,

भूल जाऊँ

आँख मून्दे ,

कान…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 27, 2013 at 11:30pm — 28 Comments

प्राण जिसमें है मरेगा ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122  2122 ( बिना रदीफ )

जो भरा है वो बहेगा   

रिक्तता है तो भरेगा

 

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा

 

कानों सुनके आँखों देखे

चुप भला कैसे…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 7:00pm — 37 Comments

!! प्रयास , कृष्ण हो जाने का !! ( अतुकांत )

 

कालीदास

मौन शास्त्रार्थ में

खुले पंजे के जवाब में

मुक्का दिखाते हैं

विद्वान अर्थ लगाते हैं

उन्हें ख़ुद पता नहीं

वो शास्त्रार्थ जीत जाते हैं…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 22, 2013 at 1:00pm — 28 Comments

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222    1222      1222     1222   

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम

***********************************

तमन्नाओं की कश्ती में तुझे ऐ दिल बिठायें हम

तेरी इन डूबती सांसों की उम्मीदें जगायें हम

 

बहुत ठोकर मिली…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 1:30pm — 42 Comments

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी -- ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

*******************************

 2122    1212       22

 

काई ज़ज़्बात पर जमी होगी

दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी  ?

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 6:00pm — 31 Comments

मुझे पागल बताया जा रहा है ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122      2122      2122       2122

 

ज़ख़्म सूखे हैं तो फिर क्यों दर्द फैला जा रहा है  

क्यों मुझे वो दिन पुराना याद आता जा रहा है

 

भीड़ मे रहना मुझे फिर बोझ सा लगने लगा क्यों   

और तनहा कोई कोना क्यों…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 5:30pm — 34 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service