For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog – December 2016 Archive (8)

गीत कोई गाऊं मैं





दुःख बिसराये

सुख को लाये

ऐसा गीत गाऊँ मैं

खट्टी  मीठी यादों को

थोड़ा सा गुन गुनाऊं मैं

दूर खड़ा पर्वत पुकारे

चलकर उसतक जाऊं मैं

बादलों से बरसे पानी

झूम झूम कर नाचूँ मैं

खेत बुलाये, परिंदे पुकारें

बोली उनकी समझूँ मैं

नाच उठे मनवा मेरा

गीत ऐसा कोई गाऊँ मैं |



बहती नदी , बहता झरना

कलकल इनकी सुन लूँ मैं

किनारे से टकराती लहरों से

कुछ देर बातें कर लूँ मैं

देखकर वहां गोरी कलाई…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 31, 2016 at 9:30pm — 19 Comments

जज़्बात (नज़्म)

मेरे दिल के जज़्बात साथ नहीं देते हैं

और आँसू भी अपनी बात कहते हैं ।



ना जाने नम सी आँखें रहती हैं

और दर्द की पीर आँखें सहती हैं

देखकर बेवफाई यह रोती है

तन्हाई के हर सितम सहती हैं ।



रात की अँधियारी में कभी रोती हैं

कभी काँधे पे सर रख सोती हैं

अश्क बन जब जब दिखाई देतीं हैं

सारा जग समेट अपने में भर लेतीं है ।



दर्द का दरिया आँखों को कहते हैं

आँखों से ही तो इशारे किया करते हैं

सूनी सूनी सी गलियारी है दिल की

हर…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 27, 2016 at 8:30pm — 6 Comments

फूल और माली (कविता)

एक दिन माली रूठ गया

फूल यह जान दुःखी हुआ

सूरज की तपिश भी तेज थी

बिन पानी के फूल सूख गया

ज़मीन पर गिर मिट्टी पर पड़ा

जोत रहा था बाट माली की

सोच रहा था क्या हो गया

मेरा माली क्यों रूठ गया ।

इतने में कोई पास आया

देख उसको मुरझाया फूल हरकाया

बोला माली से बाबा क्या ऐसी बात हुई

आपकी राह देखते देखते देखो

कई कलियाँ भी मुर्झा गयीं ।

माली ने प्यार से उसे उठाया

गिरे हुए फूल को फिर सहलाया

फूल और माली की प्रीत निराली

सूरज बोला मैं… Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 24, 2016 at 8:30pm — 5 Comments

सौदा ( कविता)

आज एक सौदा ही कर लें

बोली बॉस एक दिन

सुनकर यह चकित हुई मैं

देखती रही उनको एकटक

देख मुझको भांप गयी वो

मुझे लगा कांप गयी वो

पर नहीं , नहीं हुआ कोई असर

बोलीं न छोडूंगी कोई कसर

अब मैं हुई और परेशान

शैतान आया था बनकर मेहमान

रुकी कुछ पल फिर हंस कर बोलीं

अपने ईमान की पोल खोली

सुनो मेरा तुम करो एक काम

न करना इस बात को आम

मेरे पास काला धन पड़ा है

मोदी जी ने सर पर हथौड़ा मारा है

औरतो के खाते में ढाई लाख़ फ्री है

यह रकम…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 22, 2016 at 8:30am — 6 Comments

लड़ाई (कविता)

एक दिन कुछ अलग हुआ

समुन्दर और आकाश के बीच

आकाश को देख समुन्दर चिल्लाया

मेरी जगह तुम आ जाओ

यह बात सुनकर आकाश मुस्काया

बोला ठीक है करलो ये प्रयास

सारी मछलियां गभरायीं

अब पंख कहाँ से लायें

चिड़िया उनको देख मुस्काईं

जैसे हम जल में तैरेंगे

तुम सब हवा में उड़ जाना

यह सब देख धरा मुस्काई

दोनों की कैसे खत्म करूँ लड़ाई

पूछा उसने समुन्दर से

दादा बोलो मैं कहाँ जाऊँ

वन , जंगल कहाँ ले जाऊँ?

आकाश से भी पूछा उसने

दिन और रात का… Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 21, 2016 at 7:33pm — 7 Comments

आकाश ( कविता)

यह आकाश सबको बुलाता

दूर से ही सबको लुभाता

अपने में बहुत कुछ समेटे

आकर्षित खुद ही बन जाता ।

यह आकाश सबको बुलाता ।

बादलों में कभी छुप जाता

रंग बदलता ,मेघ बरसाता

चाँद सितारों के संग रहता

धरा को अपनी छाँव देता

कभी इठलाता कभी बिखरता

यह आकाश सबको बुलाता

इंद्रधनुष की चादर ओढ़े

जब कभी भी है यह आता

कहीं कोई तराना है गाता

करता है अठखेलियां बहुत

कभी आग यह बरसाता ।

ख्वाबों को सजाता

आकाश अपना हो जाता ।



मौलिक एवं… Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 16, 2016 at 9:13pm — 4 Comments

आईना (कविता)

कहतें हैं सच बोलता है आईना
अपने आपकी पहचान करवाता है

देखते हैं जो बार बार इसमें
क्या रंग बदलता है आईना !

सज संवर कर देखें गर इसमें
खूबसूरत मूर्त दिखाता है आईना

गर पहचानने के लिए देखें इसमें
अहँकारी कर पुकारता है आईना ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 15, 2016 at 5:16pm — 3 Comments

जीवन काल (कविता)

वक़्त होता है सारथी
पथ होता जीवन काल

राह दिखाते चाँद सूरज
मनुष्य हो जाते बेहाल

डम डम डम डम बजाते जो डमरू
क्या बन जाओगे महाकाल

पृथ्वी के जो एक कण से उपजे
अहँकार न बनेगी कभी ढ़ाल ।

नहीं कोई यहाँ पूर्ण पुरुषोत्तम
बनाते फिर भी कई पाल

आईने के सामने खड़े हो जाएँ
तो दिख जाये स्वयं की डाल ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 6, 2016 at 10:30am — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service