For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Uma Vishwakarma's Blog – September 2017 Archive (2)

काश!

दूर गगन को मैं छू पाऊँ,

काश! कभी ऐसा हो सकता

पाखी बन कर मैं उड़ जाऊँ,

काश! कभी ऐसा हो सकता ?



सारा अंबर घर हो मेरा ।

सदा धरा पर रहे बसेरा ।

इंद्र्धनुष भी मैं बन जाऊँ,

काश! कभी ऐसा हो सकता ?



फूलों की ख़ुशबू बन महकूँ ।

चिड़ियों की जैसी मैं चहकूँ ।

सारा गुलशन मैं महकाऊँ,

काश! कभी ऐसा हो सकता ?



चंदा की मैं ओढ़ चुनरिया।

तारों के संग छैयाँ छैयाँ ।

रोज़ चाँदनी सी झर जाऊँ,

काश! कभी ऐसा हो सकता ?



मौलिक… Continue

Added by Uma Vishwakarma on September 8, 2017 at 10:10pm — 3 Comments

लघु कथा

चिंता



"चलो जल्दी । सब बाहर निकलो । बाँध टूट चुका है। पानी बहुत तेज़ी से इधर की ओर आ रहा है ।" बाहर से कई आवाज़ें आ रही थी । आवाज़ सुनते ही शन्नो रसोई में घुस गई । पूरे घर में घुटने तक पानी भर चुका था । रसोई से दाल,चावल,आटा,नमक जितना कुछ उसके दुपट्टे में बँध सका, उसने बाँध लिया । ऊपर रखे डिब्बे में से गुड़मुड़ाए नोटों को निकलना कैसे भूल सकती थी ? निकालने को वो उचकी ही थी कि तभी "अरे! शन्नो जल्दी चल । सब छोड़ दे।" बाहर रफ़ीक चिल्ला रहे थे। "कहाँ मर गई ? जाने कौन सी कचौड़ी पका रही है… Continue

Added by Uma Vishwakarma on September 8, 2017 at 5:48pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
13 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service