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Tasdiq Ahmed Khan's Blog – January 2017 Archive (2)

ग़ज़ल(दीप जला कर रखना) ----------------------------------------

ग़ज़ल(दीप जला कर रखना)

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फाइलातुन -फइलातुन-फइलातुन-फेलुन

इसको दुनिया की नज़र बद से बचा कर रखना |

अपने दिल में ही मुहब्बत को छुपा कर रखना |

नीम शब आऊंगा मैं कैसे तुम्हारे घर पर

जाने मन बाम पे इक दीप जला कर रखना |

क्या खबर ख्वाब की ताबीर बदल जाए कब

मेरी तस्वीर को सीने से लगा कर रखना |

डर है बद ज़न कहीं अह्बाब न कर दें उनको

अपने जज़्बात को दिल में ही दबा कर रखना…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on January 6, 2017 at 10:50pm — 15 Comments

ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )

ग़ज़ल(तुम सदा मुस्कराना नये साल में )

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(फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन)

क़ौले उलफत निभाना नये साल में |

मुझ को मत भूल जाना नये साल में |

क्यूँ हैं बाहर खड़े घर में आ जाइए

कीजिए मत बहाना नये साल में |

हाथ ही मिल सके अपने बीते बरस

दिल को दिल से मिलाना नये साल में |

इक कॅलंडर नया घर की दीवार पर

है ज़रूरी लगाना नये साल में |

सिर्फ़ गमगीन आशिक़…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on January 1, 2017 at 5:50pm — 16 Comments

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मिथिलेश वामनकर posted a discussion
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
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7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
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