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Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह's Blog (31)

धर्म या राजनीती © (सोचने की अभी बहुत ज़रूरत है हमें )



धर्म या राजनीति © ( सोचने की अभी बहुत ज़रूरत है हमें )



विवाद और मानव ► विवाद और मानव, दोनों का चोली दामन का साथ है ... प्राचीन काल, जब मनुष्य सभ्य नहीं था तभी से संघर्षों, ईर्ष्या, जलन आदि का चलन चला आ रहा है ...मगर उसका जो स्वरुप आज है उससे खुश होने की नहीं वरन शर्मिंदा होने की आवश्यकता है ... बच्चे ने छींक मारी, चुड़ैल पड़ोसन जिम्मेदार है ... घर, दफ्तर, बाज़ार सभी इसकी चपेट में हैं ... मंदिर के बाहर अधखाये… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 24, 2010 at 10:31pm — 3 Comments

::::: हाँ यहीं तो हो तुम ::::: ©



::::: हाँ यहीं तो हो तुम ::::: © (मेरी नयी कविता)



हाँ यहीं तो हो तुम, और जा भी कहाँ सकती हो ...

तलाशते रहेंगे एक दूसरे में खुद को मगर ...

साये के साये में, साये को खोज पाएंगे कैसे ... ?

कोशिशें, तलाश, और यही ज़द्दोज़हद ढूंढ पाने की ...

जैसे खुद में दूसरा बाशिंदा बसा रखा हो हमने ...



गर हाथ थाम लेती जो तुम पास आकर मेरा ...

मौजूद साये को साये से अलहदा भी देख पाता ...

मगर ज़रूरत ही क्या तुम्हें अलहदा… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 23, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

::::: मेरे जिस्म में प्रेतों का डेरा है ::::: ©



::::: मेरे जिस्म में प्रेतों का डेरा है ::::: © (मेरी नयी सवालिया व्यंग्य कविता)



मेरे जिस्म में प्रेतों का डेरा है...

नाना प्रकार के प्रेत...

भरमाते हुए...

विकराल शक्लें...

लोभ-काम-क्रोध-मद-मोह...

नाम हैं उनके...

प्रचंड हो जाता जब कोई...

घट जाता नया काण्ड कोई...

सृष्टि के दारुण दुःख समस्त...

सब दिये इन्हीं पञ्च-तत्व-भूतों ने...



लालसा...

अधिक से भी अधिक पाने की...

नहीं… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 22, 2010 at 4:30am — 5 Comments

::::: गुमशुदा की तलाश :::::



एक लड़की लापता है ...

चिंताग्रस्त ...

हड्डियों के ढाँचे सी दुबली ...

सुना है घर से अकेली निकली है ...

कहती है ज़माना बदलेगी ...



दीवारों पर गुमशुदा का ...

"प्रति" जी का इश्तिहार लगा है ...

नाम छपा मानवता ...

कोई कहे यथार्थवादी डाकू ...

कोई कहे भौतिकता का डाकू ...

उठा ले गया उसे ...



लिखा है गुमशुदा के पोस्टर में ...

किसी सज्जन को मिले तो ले आना ...

मैं बोला भईया… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 19, 2010 at 2:00am — 3 Comments

शेर या गीदड (एक व्यथा)

आज कौन शेर है ... ?

सब हैं गीदड ...और ...

शेरनियों से शादी रचाए बैठे हैं ...

वो गुर्राया करती हैं ...

हम दुबके पड़े रहते हैं ...



घर से निकल कर कैसे कह दूँ ?

चौका-चूल्हा, बर्तन-भांडे ...

थे कभी जो उनके हिस्से ...

आते हैं अब मेरे हिस्से ...



कोमला, निर्मला, सौंदर्या ...

अबला, पीड़ित, कुचली, प्रताड़ित ...

कितने ही उपमान पाए इन्होने ...

सभी जानते हैं असलियत इनकी ...

कौन चाहता लाँघ… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 17, 2010 at 9:00pm — 4 Comments

::::: हिंदी दिवस (क्या इस दिवस का नाम लेने भर की भी हैसियत है हमारी ?) :::: ©

::::: हिंदी दिवस :::::

::::: (क्या इस दिवस का नाम लेने भर की भी हैसियत है हमारी ?) :::: ©



हिंदी हिंदी हिंदी !!!

► . . . आज सभी इस शब्द केपीछे पड़े हैं, जैसे शब्द न हुआ तरक्की पाने अथवा नाम कमाने का वायस हो गया l खुद के बच्चे अंग्रेजी स्कूल में चाहेंगे और शोर ऐसा कि बिना हिंदी के जान निकल जाने वाली है l अरे मेरे बंधु यह दोगलापन किसलिए ? स्वयं को धोखा किस प्रकार दे लेते हैं हम ? किसी से बात करते समय खुद को अगर ऊँचे… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 14, 2010 at 1:30pm — 9 Comments

::::: चाँद की चाहत ::::: ©



▬► Photography by : Jogendrs Singh ©

The little girl in dis pictire is my daughter "Jhalak"..



::::: चाँद की चाहत ::::: Copyright © (मेरी नयी शायरी)

जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 08 अगस्त 2010 )



▬► NOTE :- कृपया झूठी तारीफ कभी ना करिए.. यदि कुछ पसंद नहीं आया हो तो Please साफ़ बता दीजियेगा.. मुझे अच्छा ही लगेगा..

▬►… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 5, 2010 at 10:30pm — 4 Comments

::::: मैं एक हर्फ़ हूँ ::::: Copyright ©

.

▬► Photography by : Jogendrs Singh ©



::::: मैं एक हर्फ़ हूँ ::::: Copyright © (मेरी नयी कविता)

जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 09 अगस्त 2010 )



मेरे मित्र आर.बी. की लिखी एक रचना जो नीचे ब्रैकेट्स में लिखी है से प्रेरित होकर मैंने अपनी रचना रची है..

आर.बी. की मूल रचना नीचे है आप देख सकते हैं ► ► ►

((hum dono jo harf hain....

hum ek roz mile....

ek lafz bana...

aur humne ek maane… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on September 5, 2010 at 10:00pm — 15 Comments

::::: हाँ बूढा हूँ, पर अकेला नहीं ::::: ©



► Photography by : Jogendra Singh ( all the photographs in this picture are taken by me ) ©



::::: हाँ बूढा हूँ, पर अकेला नहीं ::::: © (मेरी नयी कविता)

जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 27 अगस्त 2010 )

Note :- ऊपर एक पंक्ति चित्र के नीचे दब गयी है उसे यहाँ पूरा लिखे दे रहा हूँ ►

►►►

"क्षितिज रेखा से झाँकना सूरज का ...

छिटका रहा है सूरज ...

रक्तिम बसंती आभा ..."

►►► शब्द सुधार --> गदर्भ =… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 27, 2010 at 10:00pm — 2 Comments

अंकुरण



▬► Photography by : Jogendrs Singh ©



::::: अंकुरण ::::: Copyright © (मेरी नयी कविता)

जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 10 अगस्त 2010 )



(सामान्य जीवन में अच्छे या बुरे का चरम बहुधा नहीं हुआ करता है.. परन्तु यह भी तो देखिये कि यहाँ मानव मन को अभिव्यक्त किया गया है, जिसकी सोचों का कोई पारावार नहीं होता.. जितना सोच जाये वही कम है.. सीमा बंधन सोचों के लिए बने ही नहीं हैं.. फिर लिखते वक्त मेरे मन में अपने मित्र सी हुई बातचीत थी… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 26, 2010 at 11:00pm — 10 Comments

आजकल खयाल



▬► Photography by : Jogendrs Singh ©

► NOTE :- उपरोक्त दोनों चित्र मुंबई के भाईंदर ईलाके में "केशव-सृष्टि" नामक जगह का है..!!



::::: आजकल खयाल ::::: © (मेरी नयी कविता)

जोगेंद्र सिंह Jogendra Singh ( 10 अगस्त 2010 )



► NOTE :- कृपया झूठी तारीफ कभी ना करिए.. यदि कुछ पसंद नहीं आया हो तो Please साफ़ बता दीजियेगा.. मुझे अच्छा ही लगेगा..

▬► !!..धन्यवाद..!!



(इस कविता की प्रथम दो पंक्तियाँ मेरे मित्र सोहन से… Continue

Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on August 26, 2010 at 11:00pm — 8 Comments

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