क्या लोकपाल?
अनिश्चय से भरा
शोर शराबा
लोक या पाल
लोकपाल का शोर
थम पाएगा?
मुश्किल भरा
लोकपाल का रास्ता
चुनावी रिश्ता
फिर चुनाव
फिर शुरु हो रहे
चुनावी शोर
Added by Neelam Upadhyaya on December 28, 2011 at 12:30pm — No Comments
ऐसा शहर
ठिठुरती जिन्दगी
सड़कों पर
तार-तार है
नज़र अ़दाजी से
इंसानियत
जमती साँस
बच पाती अगर
आस किरण
एक कतरा
खुशहाली से भरा
उन्मुक्त हँसी
Added by Neelam Upadhyaya on December 27, 2011 at 10:48am — 3 Comments
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