For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Chandresh Kumar Chhatlani's Blog – December 2015 Archive (4)

गाँधी जी का तीसरा बंदर (लघुकथा)

"क्या बात है?" घर पहुँचते ही उसकी माँ ने उसकी आँखों में आँसू और पिता की आँखों में चिंता को देखकर घबरा कर पूछा|

उसके पिता ने बताया, "सेठ जी के बेटे और सामने वाले भाईसाहब की बेटी के बीच कुछ चल रहा था, इसे सब बात पता थी| अब कल किसी बात पर उस लड़की ने आत्महत्या कर ली, तो आज ये पुलिस को सब बातें बताने लगी| वो तो ऐन वक्त पर मैनें भीड़ का फायदा उठा कर इसका मुंह बंद कर दिया नहीं तो....."

"नहीं तो क्या बाबूजी?" उसने पूछा

"किसी के फटे में हम टांग क्यों डालें? तू चुप नहीं रह सकती?"…

Continue

Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 27, 2015 at 4:00pm — 10 Comments

सच की कमज़ोर आवाज़ (लघुकथा)

एक दिन सच और झूठ एक दूसरे से मिले, दोनों ने सोचा हमें एक जैसा दिखना चाहिये, ताकि लोग खुद ही अपने विवेक से सच और झूठ को पहचान सकें|

और उन्होंने एक जैसे कपड़े पहने और एक जैसे मुखौटे चेहरे पर लगा दिये फिर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर वादा किया कि किसी को अपना चेहरा उजागर नहीं करेंगे|

उसके बाद आज तक झूठ की मधुर आवाज़ के कारण कई लोग झूठ को ही सच समझते हैं और सच अपने वादे के कारण खुद…

Continue

Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 19, 2015 at 7:05pm — 4 Comments

बिकाऊ प्रार्थना - लघुकथा

सब उसे पागल कहते थे, लेकिन एक बुद्धिजीवी का दिमाग उसे पागल नहीं मानता था|

आज उस बुद्धिजीवी ने देखा कि वो एक मंदिर में गया, वहां नमाज़ पढ़ी|

फिर एक गुरूद्वारे में गया और वहां कैरोल गाया|

और एक गिरजे में गया और आरती की|

फिर एक मस्जिद में गया और वहाँ अरदास की|

आखिर में अपनी जगह पर जाकर बहुत रोया,

बुद्धिजीवी ने कारण पूछा तो उसके उत्तर में भी एक प्रश्न था, "हर धार्मिक-स्थल पर दान दिया था| वो बिकता तो है, लेकिन मिलता कहाँ है?"

बुद्धिजीवी समझ गया वो पागल ही…

Continue

Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 12, 2015 at 11:04am — 3 Comments

निश्छल प्रेम - लघुकथा

वो अकेली बैठी रो रही थी, जंगली जानवरों से उसका रोना बर्दाश्त नहीं हुआ, वो उसके पास जाकर उसका दुःख पूछने लगे|

उसने कहा, "मैं उससे बहुत प्रेम करती हूँ, लेकिन उसे केवल मेरी खूबसूरती से ही प्रेम है, और वो ही मेरी सुन्दरता नष्ट कर रहा है, पता नहीं कैसे-कैसे रासायनिक द्रव और विष समान कचरा युक्त जल मुझे पीना होता है, उसके फैलाये धुंए से मैं क्षीण और कुरूप होती जा रही हूँ| उसके मचाये शोर से बहुत घबरा जाती हूँ, क्या करूँ?"

फिर उसने तितली से कहा, "तुम जिन फूलों पर जाती…

Continue

Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 6, 2015 at 8:30pm — 8 Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service