For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Lata R.Ojha's Blog – December 2010 Archive (14)

बस उड़ो..





Continue

Added by Lata R.Ojha on December 30, 2010 at 4:00pm — No Comments

चलते गए ..



Continue

Added by Lata R.Ojha on December 29, 2010 at 2:30am — 5 Comments

कैसे ???????

मेरी…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 29, 2010 at 2:00am — 3 Comments

मुखौटा सच का ..?

होंठ…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 27, 2010 at 1:00am — 6 Comments

मैने सॅंटा को देखा है ..

मानो…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 26, 2010 at 1:30am — 4 Comments

सुबह फिर आ गयी जागो ..

सुबह फिर…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 26, 2010 at 1:00am — 4 Comments

चल मेरे मन चलें वहाँ..



चल मेरे मन चलें वहाँ..  … Continue

Added by Lata R.Ojha on December 23, 2010 at 4:30pm — 6 Comments

ये..इश्क ही तो है..

चमकती चाँदनी के काजल सी रात..





सर्द हवा और तारों का साथ.. …



Continue

Added by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 2:00pm — 9 Comments

जो ढूंढ सको तो..

 …

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 22, 2010 at 1:30pm — 8 Comments

तुम जो साथ हो ...

 

कहा किसी ने 'बहुत ख्वाब सजाती हो तुम.
ज़िंदगी को भी सजाना सीखो.
नुस्खे जितने बताती हो ज़िंदगी जीने के,…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 11:30pm — 5 Comments

क्यों आज भी.....???

मैं भी कुछ लफ्ज़ तेरे बारे कह दूँ,

शायद तब दो घड़ी सुकून आए..…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 20, 2010 at 12:30am — 2 Comments

एक दीप कहीं यूँ भी जलाया होता........

एक दीप कहीं यूँ भी जलाया होता,


किसी नन्हे से दिल--दिमाग़ को रोशिनी…
Continue

Added by Lata R.Ojha on December 11, 2010 at 2:00am — 2 Comments

स्वप्निल सपने..



कुछ सशब्द,कुछ नि:शब्द सपने,



कुछ व्यक्त ,कुछ अव्यक्त सपने..



कुछ मौन कुछ कोलाहल पूर्ण..



कुछ सुंदर ,कुछ कुरूप सपने..





कुछ मधुर,कुछ कड़वे सपने..



कुछ तृप्त,कुछ अतृप्त सपने..



कुछ सजीव कुछ प्रस्तर खंड..



कुछ माने ,कुछ रूठे सपने..





कुछ शहनाई,कुछ बलि वेदी..



कुछ दुल्हन कुछ अरथी सपने..



कुछ ग्यान पूर्ण,कुछ अग्यानि..



क्च मानव कुछ… Continue

Added by Lata R.Ojha on December 6, 2010 at 12:30pm — 2 Comments

ले चल अपने देस पिया जी ..





ले चल अपने देस पिया जी , ये घर अब ना भाए..



जी चाहे,तेरी सुगंध ऐसे मुझ में बस जाए..



जो भी देखे मुझको ,मुझमें तेरी छाया पाए..





रोम रोम मेरा हर पल बस तेरी महिमा गाए..



मेरे होठों पे जब आएँ शब्द तेरे ही आएँ..





इस भौतिक जीवन में तो अब ना ये मनवा रम पाए..



दुनियादारी सोचने बैठूं, तुझमें सुध खो जाए..





ले चल अपने देस पिया जी ,ये घर अब ना भाए..



हर… Continue

Added by Lata R.Ojha on December 6, 2010 at 12:00pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service