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Janki wahie's Blog – December 2016 Archive (2)

गरीब सैंटा की अमीरी ( लघु कथा ) जानकी बिष्ट वाही- नॉएडा

" आज कड़ाके की ठण्ड है।" कहते हुए उसने दोनों हाथों को आपस में रगड़ कर अपने अंदर गर्मी का अहसास जगाया। बदन पर पहनी एकमात्र कमीज और पतली सी सांता क्लॉज की ड्रेस उसको गर्म रखने में नाक़ाम लग रही थी।

" ममा ! देखो सैंटा " एक छह या सात साल का बच्चा उसकी ओर उत्सुकता से देखने लगा।

" सारी सुस्ती छोड़कर उसने मुस्कुराते मुखौटे के अंदर ठण्डी साँस भरी और मुठ्ठी टॉफियों के साथ गर्मजोशी से बच्चे की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया।

"थैंक्यू सैंटा !" बच्चे ने लपक कर टॉफियां पकड़ ली।साथ ही उसके पापा ने…

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Added by Janki wahie on December 20, 2016 at 1:30pm — 14 Comments

बड़े होकर मैं - ( लघुकथा ) जानकी बिष्ट वाही

" ऐ भाई ... दे दे ना ..."

"फिर आ गया तू ! चल भाग यहाँ से।"

" भाई ! एक दे दे ना,तुमको तो रोज बहुत मिलता है।"

" तेरी समझ में नहीं आता? ये जगह बच्चों के लिए नहीं ... अरे ! अभी भी यहीं खड़ा है ? लगाऊँ क्या एक ?"

" भाई ! आप बहुत अच्छे हो !एक दे दो, फिर नहीं आऊँगा यहाँ ।" अब उस लगभग बारह साल के बच्चे ने मस्का लगाने की कोशिश की।

" बड़ा ज़िद्दी है।कौन - कौन है तेरे घर में ?"

" माँ,छोटी बहन और मैं ।"

" और तेरा बाप ?"

" वो तो हमें छोड़ कर चला गया।उसने दूसरी शादी कर ली।"…

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Added by Janki wahie on December 12, 2016 at 12:00pm — 21 Comments

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