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दिनेश कुमार's Blog – December 2014 Archive (2)

तरही ग़ज़ल -- मोगरे के फूल पर .....

ग़ज़ल



बुजदिलों के शह्र में मर्दानगी सोई हुई..

जुल्मतों की शब मुसलसल, रोशनी सोई हुई ।



बच्चियों पर बढ़ रहे अपराध सीना तानकर ...

हर किसी की आँखों में शर्मिंदगी सोई हुई ।



शह्र के फुटपाथ पर रातों का मंजर खौफनाक .....

मुफलिसी की ओढ़ चादर जिन्दगी सोई हुई ।



मुज़रिमों का हौसला अब दिन-ब-दिन बढ़ता गया ....

देश के सब मुन्सिफ़ों की लेखनी सोई हुई ।



चाँद सूरज फूल कलियाँ इन पे मैं लिक्खूँ ग़ज़ल ? .....

एक मुद्दत से मिरी तो शायरी सोई हुई… Continue

Added by दिनेश कुमार on December 29, 2014 at 10:32pm — 21 Comments

गजल -- देखकर मासूम बच्चों की हँसी

ग़ैर तरही गजल



देखकर मासूम बच्चों की हँसी

आज कुछ मन की उदासी कम हुई



गीत गजलें छन्द मुक्तक फिर कभी

तुझसे मन उकता गया है शायरी



मुझमें शायद कुछ न कुछ तो है कमी

हर किसी को मुझ से जो नाराज़गी



कल मेरे दिल को बहुत सदमा लगा

मेरी गजलें उसने बेगानी कही



गुजरा बचपन जैसे कल की बात हो

तेज़ है रफ़्तार कितनी वक़्त की



रेत पर लिक्खी इबारत की तरह

कुछ ही पल टिकतें हैं मेरे ख़्वाब भी



आप इसको जो भी चाहे नाम… Continue

Added by दिनेश कुमार on December 19, 2014 at 4:18pm — 18 Comments

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