For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – November 2015 Archive (5)

ज़िन्दगी के मायने(लघुकथा)

"सारा जीवन बैल की तरह कमाया।अपनी और अपने बच्चों की तरफ न देखा,न ही कोई भविष्य की योजना कर पाए।",झिड़कते हुए उसकी पत्नी ने बोला।

और वह उसकी तरफ एक बार देख ही पाया उत्तर में।

"ऐसे क्या घूर रहे हो मुझे ?कुछ गलत नहीं बोली हूँ।"

"हूँsss।मैंने तो....."

"क्या मैंने तो?कोई सगे भाइयों के लिए कुछ नहीं करता और तुमने तो अब तक का अपना जीवन सौतेलों के लिए जिया।उनको तो बना दिया और ख़ुद.....।"

"क्या बोले जा रही हो भाग्यवान....?"

"आज तो कोई सगा किसी का नहीं,तो सौतेला क्या होगा?अपनी… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 2:24pm — 8 Comments

मुझे जीने दो(लघुकथा)

टेलीविज़न बड़े घमण्ड में ताव दे रहा था,"आज तो ज़माने पर हमारा कब्ज़ा है।हमारे बिना किसी का गुज़ारा नहीं।बच्चे बूढ़े या जवान,सब में अपनी पहचान"

अब रेडियो इतराई,"देर रात तक पढ़ने वालों ,दूर-दराज़ तक के लोगों और मजदूरी करने वालों का मैं करती हूँ मनोरंजन और बांटती हूँ ज्ञान,बहुत दूर तक मेरी भी पहचान।"

अब कंप्यूटर की बारी आई,उसने भी सब की खिल्ली उड़ाई,"क्या रेडियो -टीवी मुझमें सब चलता सब दिखता है।और मनोरंजन से लेकर ज्ञान तक सब मुझमें टिकता है।"

इनकी बातें सुनकर साहित्य… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 28, 2015 at 7:09am — 4 Comments

माँ के लिए (लघुकथा)

छाती में भयंकर दर्द के कारण डॉ के पास गया।डॉ ने हृदय रोग होने की आशंका से उससे जुड़े सभी टेस्ट लिख दिए।टेस्ट हुए।रिपोर्ट आई।रिपोर्ट में शक के दायरे की सभी समस्याएं नदारद।रिपोर्ट के अनुसार कोई समस्या नहीं।सुनकर ख़ुशी हुई।फ़िर भी

-डॉ साहब ये छाती में दर्द क्यों हुआ?

-अरे कुछ नहीं!बस गैस,बाई-बादी....।

-पर क्यों?

-कुछ तीखा मसालेदार खा लिया होगा या फिर कुछ खाया ही नहीं होगा।

-हाँ हाँ।नवरात्र के व्रत रखे थे ।

-तुमने!!!!!

-जी।

उसे ध्यान आया बहुत कमजोरी के कारण… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 27, 2015 at 12:19pm — 2 Comments

मिटता मन का मैल(लघुकथा)

अपना पेट काटकर छौटे भाई को पढ़ाया।अपनी जवानी का अधिकत्तर हिस्सा मजूरी करके गुज़ारा।मेहनत करने में दिन न देखा न कभी रात।भाई होनहार जो था पढ़ाई में भी पूरा तेज और लोकव्यवहार में बिलकुल सधा हुआ।

पता नहीं क्या हुनर बख्शा था ऊपरवाले ने उसे।लोगों को झट से मना लेता था और उनके मन तक को पढ़ जाता था।

जब उसके कुछ करने का समय आया तो ,"मुझे नहीं रहना आपके साथ और न ही मैं आपके लिए कुछ कर पाऊँगा।मुझे मेरी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीनी है।मैं जा रहा हूँ।मुझे ढूँढने की भी कभी कौशिश मत करना।" बस इतना… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 19, 2015 at 8:06pm — 11 Comments

आज़ाद देश के ग़ुलाम(लघुकथा)

मोहन कुमार आज एक शराबखाने के एक अलग-थलग कोने में बैठा था।मेज पर सामने एक बोतल शराब के साथ।जिस शराब को वह पीने की ज़बरदस्ती कोशिश कर रहा था,उसे शायद ही कभी पीया हो।एक हल्का सा ज़ाम बमुश्किल गले से उतार पाया।हल्के नशे में उसे अपने ज़िन्दगी का फ्लैशबैक नज़र आने लगा-

कॉलेज से पहले पत्रकारिता के प्रति रूचि..

इंटरमीडिएट के दौरान ही जाने माने टीवी पत्रकार को अपना आदर्श मान लेना...

अपनी रूचि के अनुरूप पत्रकारिता के उच्च कोर्स में प्रवेश लेना....

अपने आदर्श पत्रकार से…

Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 9, 2015 at 7:30pm — 4 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service