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Ajay sharma's Blog – November 2013 Archive (2)

कभी जब तुम नही रहते

कभी जब तुम नही रहते ,

तुम्हारा कोई "अहसास" रहता है

कि जैसे बंद कमरे मे

कोई आहट गुजरती हो

कि जैसे हवा के साथ कोई

ख़ुशनुमा ठंडा झोंका

मेरे कमरे में आता , जाता

पर

ठहरता नहीं है

कि जैसे किसी बंद क़िताब के पन्ने

कोई सदा देते हों

कि जैसे पुराने खतों की खुश्बू

गुदगुदाती हो

कोई पुरानी तस्वीर

जैसे बोलने को बे-करार हो

कि जैसे वक़्त का टुकड़ा कोई ,

गुज़र कर भी नहीं गुज़रता है

कभी जब तुम नहीं रहते ,…

Continue

Added by ajay sharma on November 16, 2013 at 11:00pm — 12 Comments

जो रख हाथ तू माथे पे मेरे

जो रख हाथ तू माथे पे मेरे

मैं रोना भूल जाऊँगा

जो दे दे हाथ तू हाथों में मेरे

मैं उठ कर खिल खिलाऊँगा

ना जाने दे मुझे उस पर तक

ना फिर मैं लौट पाऊँगा

ये क्या ज़िद है मेरी बच्चों के तरह

कि मैं फिर से लड़खड़ाऊँगा

तू झिड़क दे हाथ मेरा

मैं फिर अंगुली बढ़ाऊँगा

मैं बैठा याद करने अंगुलियों पर

मैं किसको भूल जाऊँगा

रही है मेरी हमसफ़र मेरी ये ज़िंदगी

मैं कैसे भूल जाऊँगा

अप्रकाशित अमुद्रित

अजय कुमार…

Continue

Added by ajay sharma on November 13, 2013 at 9:30pm — 12 Comments

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