For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Janki wahie's Blog – November 2015 Archive (4)

चैनल दर चैनल ( लघु कथा ) जानकी बिष्ट वाही

"कितने मिष्ठ भाषी,सौम्य और मिलनसार थे तेरे पापा ।आज़कल न जाने उन्हें क्या हो गया।" माँ ने राघव से कहा।

" माँ ! मुझे भी ऐसा ही लग रहा है।मैं आज़ ही अपने मनोचिकित्सक दोस्त विवेक से इस बारे में बात करता हूँ।कि इस बदले व्यवहार का क्या कारण है।"

छः महीने पुरानी बात थी ज़ब पापा रिटायर हुये थे खूब खुश थे।

" बहुत काम कर लिया ।अब तो जिंदगी जीनी है।"

बस तभी से घर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। चैनल दर चैनल ये सिलसिला बढ़ता ही गया।

सुबह होते ही हिदायतें शुरू हो जाती।" आरव को…

Continue

Added by Janki wahie on November 11, 2015 at 5:30pm — 15 Comments

हमीद की माँ की मुस्कान ( लघु कथा )

जयेश के घर चारों मित्र सपरिवार ज़मा हैं। हँसी-ठहाके, दुःख-दर्द चाय और समोसों के साथ उड़ाये जा रहे हैं।



टीवी चैनलों पर सहिष्णुता और असहिष्णुता पर दिग्गज लोगों की बहस ज़ारी है।

धर्म, राजनीति और देश,बहस के रूप में कमरे का तापमान बढ़ानें को पर्याप्त हैं । पत्नियाँ दूसरे कोने में अपने-अपने घर -बच्चों में रमी हैं।



एकाएक चंद्रप्रकाश ने दीवार पर लगे पारिवारिक चित्र को देख कर पूछा -" जयेश ! तुम तो बहुत छोटे हो इसमें बाकि और कौन-कौन हैं ?"

"हम चार भाई ,दीदी,माँ -पिताजी और… Continue

Added by Janki wahie on November 6, 2015 at 5:49pm — 17 Comments

चाँदी के बटन ( लघु कथा )

सुनार की दुकान में बैठी नीलिमा अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी।कि 75- 78 वर्ष के बुजुर्ग पर ध्यान चला गया।

" आओ -आओ आज़ क्या बनवा रहे हो अपनी बुढ़िया के लिए।" सुनार मोती लाल ने कहा।

ज़ेब से सुंदर चाँदी के बटन निकाल बुजुर्ग बोले , " इनमें चाँदी के घुंघुरू लगा दो।"

" आहा बुबू जी ! कितने सुंदर हैं ये ; कहाँ से बनवाये ? " नीलिमा ने उनको बैठने की ज़गह देते हए पूछा।



"चेली ! ये असली चाँदी नहीं है। नकली बटन हैं "

"अरे , तो फ़िर इनमें असली चाँदी के घुंघुरू क्यों लगवा रहे… Continue

Added by Janki wahie on November 3, 2015 at 5:22pm — 14 Comments

- अंधे-

- अंधे - ( लघु कथा )



" माई ओ माई ! " चिल्लाते हुए श्यामू ने राम रत्ती को आवाज़ लगाई।

" क्या है रे ! आज़ कौन सा तीर मार लाया ?"

" ये ले माई !" तेल से भरा डिब्बा और चावल उरद की कच्ची खिचड़ी सामने रख दी।

" वाह , और पैसे ?"

" ये ले पूरे 86 रूपये हैं ।"

" बहुत खूब बेटा ! दस-पन्द्रह दिन तो खाने का अच्छा जुगाड़ हो गया।"



" माई ! एक बात मेरी समझ में नहीं आती ?"

" क्या ?" सामान सहेजती रामरत्ती ने नज़रें उठाई।

" सारे लोग अपनी अला-बला ज़ादू -टोना हर… Continue

Added by Janki wahie on November 1, 2015 at 6:40pm — 13 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service