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Rajkumar sahu's Blog – October 2010 Archive (3)

दिखने वाले कलमकार के रूतबे

बदलते समय के साथ पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं और बाजार में जब से पत्र-पत्रिकाओं की बाढ़ आई है, तब से लिखने वाले कलमकारों की रूतबे कहां रह गए हैं, अब तो दिखने वाले कलमकारों का ही दबदबा रह गया है। सुबह होते ही काॅपी, पेन और डायरी लेकर निकलने वाले कलमकारों के क्या कहने, वैसे तो ऐसे लोग अपनी पाॅकिट में कलम रखना नहीं भूलते, लेकिन यह जरूर भूले नजर आते हैं कि आखिर वे लिखे कब थे। लोगों को अपनी कलम की धार दिखाने उनके लिए जुबान ही काफी है, जहां से बड़ी-बड़ी बातें निकलती हैं। ऐसे में… Continue

Added by rajkumar sahu on October 30, 2010 at 11:54am — 1 Comment

यह दावा किसके दम पर ?

अक्सर कहा जाता है कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है और राजनीति भी इससे जुदा नहीं है। राजनीति में भी कई बार अनिश्चितताओं के दौर से राजनेताओं को गुजरना पड़ता है और वे जो चाहते हैं, वह सब नहीं होता तथा परिणाम उलट हो जाता है। ऐन चुनाव के पहले कई तरह के दावे उंची शाख रखने वाले नेताओं द्वारा किया जाता है, मगर जब नतीजे सामने आते हैं तो उन्हीं नेताओं के पैरों तले जमीं खिसक जाती है या यूं कह,ें सभी दावे की हवा निकल जाती है और मतदाताओं के रूख के आगे नेताओं के दावे बौने साबित हो जाते हैं। बावजूद कई नेता… Continue

Added by rajkumar sahu on October 29, 2010 at 10:54am — 1 Comment

समाज, शराब और सरकार

बदलते परिवेश के साथ लोगों की जीवनशैली और रहन-सहन में परिवर्तन आया है और समाज में भी व्यापक स्तर पर बदलाव देखने में आ रहा है। लोग जहां भौतिकवादी जीवन जी रहे हैं, वहीं नई पीढ़ी एक ऐसे अंधकार में गुम होती जा रही है, जिसकी अंतिम परिणिति की कल्पना कर ही मन सिहर उठता है। समाज में नशाखोरी की प्रवृत्ति इस कदर हावी हो गई है कि इसने हर वर्ग को अपने चपेट में ले लिया है। युवा पीढ़ी तो लगातार नशाखोरी की गिरफ्त में आ रही हैं और उनका भविष्य भी तबाव हो रहा है। निश्चित ही समाज में इसका विकृत चेहरा भी सामने आ रहा… Continue

Added by rajkumar sahu on October 26, 2010 at 12:05pm — 5 Comments

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
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