For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

TEJ VEER SINGH's Blog – October 2015 Archive (11)

उत्सव –( लघुकथा ) -

उत्सव –( लघुकथा ) -

"नाना जी, इस बार दीवाली पर पूरे मकान को बिजली की लडियों से ढक दैंगे, सारा घर जगमग करेगा"!

"नहीं छुट्टू, इस बार दीवाली पर यह सम्भव नहीं होगा"!

"किसलिये नाना जी"!

"छुट्टू, तेरी नानी,तेरे पापा और तेरी मॉ की बरसी होना बाकी है,उसके बाद ही हम कोई उत्सव मना सकते हैं"!

"यह तो और भी अच्छा है, एक साथ ही दौनों काम कर लेते हैं, दीवाली पर ही बरसी मना लेते हैं"!

"छुट्टू, बरसी एक साल पूर्ण होने पर पंडित जी द्वारा दी गयी तिथि पर  ही होती…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 29, 2015 at 11:23am — 8 Comments

अधूरी ख्वाहिशें - ( लघुकथा ) -

अधूरी ख्वाहिशें - ( लघुकथा ) -

  कीर्ति के शिखर पर बैठे एक खिलाड़ी ने जब सन्यास ले लिया तो उसके कुछ समय पश्चात. पत्रकार सुधीर  जिज्ञासा वश ढूंढता हुआ, उसका साक्षात्कार लेने, उसके पैत्रिक गॉव जा पहुंचा!गॉव के बाहर ही एक व्यक्ति मैले कुचैले वस्त्रों में सिर पर गोबर का टोकरा ले जाता दिखा!सुधीर ने उससे भूतपूर्व बालीबाल खिलाडी रघुराज सिंह का घर पूछा!

"क्या करोगे भाई उसके घर जाकर"!

“मुझे उनका साक्षात्कार लेना है"!

"एक गुमनाम आदमी का साक्षात्कार,क्यों मज़ाक करते…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 28, 2015 at 11:43am — 5 Comments

ज्वालामुखी – ( लघुकथा ) -

 "सुगना, क्या यह सच है कि दशहरे की रात को तुमने चौधरी जगन्नाथ के तीनों बेटों की खलिहान में सोते हुए कुल्हाडी से हत्या की थी"!

"बिलकुल सच है ज़ज़ साब,मैंने ही मारा उन तीनों राक्षसों को , रावण के साथ उनका  मरना भी ज़रूरी था, "!

"तुम्हें अपनी सफ़ाई में कुछ कहना है"!

"ज़ज़ साब, उन तीनों दरिंदों ने उसी खलिहान में  मुझे भूसा लेने बुलाया था और भरी दोपहरी में मेरी इज़्ज़त तार तार कर दी!मेरा बापू चौधरी के पास शिकायत करने गया तो चौधरी बोला कि सुगना के बापू जब पेड पर फ़ल लदे होते हैं तो…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 26, 2015 at 5:00pm — 9 Comments

गुरु दक्षिणा – (लघुकथा ) -

  

  गुरु दक्षिणा – (लघुकथा ) -

 विश्व विद्यालय के प्राचार्य  डॉ टीकम सिंह शिक्षा और साहित्य जगत की जानी मानी हस्ती थे!सुगंधा का सपना था कि वह डॉ सिंह को अपनी पी. एच. डी.  का गाइड बनाये!डॉ सिंह एक सनकी और सिरफ़िरे किस्म के इंसान थे!वह अविवाहित थे!वह महिलाओं को अपने अधीन लेना पसंद नहीं करते थे!

लेकिन सुगंधा भी ज़िद्दी स्वभाव की थी!एक दिन पहुंच गयी डॉ सिंह के बंगले पर!

"सर मुझे आपके अधीन पी. एच ड़ी. करनी है"!

"मैं महिलाओं को अपना शिष्य नहीं…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 25, 2015 at 11:43am — 10 Comments

नीच कौन – ( लघुकथा )

"चाचू, अपने पास तो ट्रैक्टर है फ़िर अपने खेत में ये बुधिया,उसकी घरवाली और छोकरी, बिना बैल के इस तरह हल क्यों चला रहे हैं"!

"मुन्ना बाबू,इनको बडे दादू ने सज़ा दी है"!

"सज़ा किस बात की"!

"इन लोगों ने हमारे ट्यूबवैल के पानी की नाली में हाथ मुंह धोया और पानी पिया, तो पानी अशुद्ध हो गया"!

"वह पानी तो खेत में जा रहा था ना"!

"ये नीच जाति के लोग हैं, यह सब मना है इनके लिये, ये हमारी कोई चीज़ को नहीं छू  सकते"!

“पर चाचू ये दौनों औरतें तो पहले हमारे घर के सारे काम…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 24, 2015 at 5:30pm — 8 Comments

ज़मीर – ( लघुकथा ) -

  ज़मीर – ( लघुकथा ) -

गोपाल ने जैसे ही मेट्रो से बाहर निकलकर मोबाइल के लिये जेब में हाथ डाला!मोबाइल गायब था!उसके हाथ पैर फ़ूल गये!उसका सब कुछ ही मोबाइल में था!उसने क्या करना है ,कहां जाना है , उसके सारे कागज़ात की प्रतियां सब मोबाइल में ही थी!उसे कुछ नहीं सूझ रहा था!

तभी सामने उसे पी.सी.ओ. दिखा!उसने तुरंत अपना मोबाइल नंबर मिलाया!दूसरी ओर से आवाज़ आयी,हैलो, "आप कौन"!

"आप कौन हो भाई "!

"कमाल है भाई, फ़ोन आपने मिलाया है तो आप बताओ ना कि आप कौन हो"!

"देखो भाई, आप…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 20, 2015 at 1:22pm — 8 Comments

सच्चा आनंद – (लघुकथा ) -

  सच्चा आनंद – (लघुकथा ) -

 "शुक्ला जी,सुना है आप पूरे नव रात्र छुट्टी पर हो"!

"सही सुना है आपने गौतम जी"!

"ऐसा क्या कठोर  व्रत पूजा पाठ   कर रहे हो कि पूरे नौ दिन की छुट्टी ले ली, व्रत उपवास तो हम भी करते हैं,पर छुट्टी खराब करके नहीं"!

"कुछ ऐसा ही  व्रत कर रहा हूं इस बार "!

"कुछ विस्तार से बताओगे"!

"गौतम जी अपने कार्यालय के पीछे जो कुष्ठ रुग्णालय है, उसमें दस कुष्ठ रोगी हैं!मैं पूरे नव रात्र उस रुग्णालय में अपनी सेवायें दे रहा हूं!प्रातः सात बजे से…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 19, 2015 at 3:45pm — 10 Comments

कर्तव्यनिष्ठ - ( लघुकथा )

  कर्तव्यनिष्ठ - ( लघुकथा ) -

"सुषमा जी,यह क्या देख रहा हूं! कन्या गुरुकुल की लडकियों को  अस्त्र शस्त्र और मार्शल आर्ट्स  सिखाया जा रहा है!

"जी सर"!

"सुषमा जी, आपने किसकी अनुमति से यह शुरु किया है"!

"सर, इसकी अनुमति ज़िलाधीश महोदय ने दी है, जो कन्या गुरुकुल के अध्यक्ष हैं"!

"और इसका खर्चा कौन देगा"!

"उसकी व्यवस्था भी ज़िलाधीश महोदय ने किसी समाज़ सेवी संस्था के द्वारा कराई है"!

"मगर सुषमा जी इसकी क्या आवश्यकता थी"!

"सर आपने देखा नहीं,…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 16, 2015 at 11:10am — 3 Comments

एम॰ बी॰ ए॰ बहू -( लघुकथा )-

सुनयना की शादी को अभी तीन महीने ही हुए थे कि उसकी सास का फ़ोन आगया,"समधन जी, ज़रा फ़ुरसत निकाल कर अपनी लाडली को ले जाना"! और आगे बिना कुछ कहे सुने फ़ोन काट दिया!शाम को सुनयना के मॉ बापू पहुंच गये उसके ससुराल!

"कोई भूल हो गयी क्या हमारी सुनयना से"!

"नहीं जी, भूल तो हमसे हुयी जो इसकी भोली सूरत और एम. बी. ए. की डिग्री से धोखा खा गये"!

"आखिर हुआ क्या, बहिनजी, कुछ बताइये तो सही"!

"कोई एक बात हो तो बतायें! बिना उठाये सुबह उठती नहीं, महारानीजी, बिस्तर पर ही चाय चाहिये,रसोई…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 14, 2015 at 12:00pm — 6 Comments

लघुकथा – संतान हीन

"चाचीजी, मेरे मन में वर्षों से एक सवाल  है, यदि आप बुरा ना मानो तो पूछ लूं"!

"बिरज़ू बेटा,  पूछ ले क्या शंका है तेरे मन में"!

"चाचीजी, पूरे खानदान में आपकी और चाचाजी की जोडी सबसे अब्बल है! सुंदर ,स्वस्थ और आकर्षक, मगर संतान हीन!क्या आपने कभी इस बारे में नहीं सोचा!कोई जांच आदि नहीं कराई"!

"क्या करेगा अब ये गढे मुर्दे उखाडकर, जाने भी दे"!

"चाचीजी, बताइये ना, ऐसा क्यों हुआ"!

"तो सुन,  जब मैं  व्याह के आयी थी तो पहले ही दिन मुझे  घर की औरतों ने  बताया कि तेरे…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 13, 2015 at 2:00pm — 6 Comments

औपचारिकता – ( लघुकथा )

 औपचारिकता –  ( लघुकथा )  

 शहर के मशहूर,युवा व्यवसायी और समाजसेवी राहुल जी का सडक हादसे में निधन हो गया!पार्थिव शरीर घर आ गया था!सारा शहर उमड पडा था!कोठी में पैर रखने को जगह नहीं थी!मातम का माहौल  था!औरतों के रोने  के अलावा अन्य कोई आवाज़ नहीं आरही थी! करीबी  लोग दाह संस्कार की व्यवस्था में लगे थे!

राहुल जी के बहनोई विनोद जी भी मौजूद थे!मगर वे जब से आये थे , तभी से अपने मोबाइल को कान से लगाये हुए थे!अन्य सभी उपस्थिति लोगों ने माहौल की नज़ाकत को देखते हुए अपने मोबाइल बंद कर दिये…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on October 6, 2015 at 5:25pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service