For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ram Awadh VIshwakarma's Blog – October 2013 Archive (5)

गजल /वो तब होता है बेकल एक पल को कल नहीं मिलताा

मफार्इलुन मफार्इलुन मफार्इलुन मफार्इलुन



वो तब होता है बेकल एक पल को कल नहीं मिलताा

उसे सेल फोन पर जब भी कभी सिगनल नहीे मिलता।



गरीबों की दुआओं से उन्हें भी स्वर्ग मिलता है,

जिन्हें मरते समय दो बूँद गंगा जल नहीे मिलता ।

मुसाफिर की बड़ी मुषिकल से तपती दोपहर कटती ,

अगर रस्ते में बरगद , नीम या पीपल नहीें मिलता।

किसी के घर में मिलतीं सिलिलयाँ सोने की चाँदी की ,

किसी के घर में साहब दो किलो चावल नहीं मिलता।

हमारे…

Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 27, 2013 at 9:14pm — 11 Comments

गजल - जिनके मुँह में नहीं बतीसी भार्इ साहब

जिनके मुँह में नहीं बतीसी भार्इ साहब ,

चले बजाने वो भी सीटी भार्इ साहब।

.

भारी भरकम हाथी पर भारी पड़ती है ,

कभी - कभी छोटी सी चींटी भार्इ साहब।

.

काट रहे हैं हम सबकी जड धीरे-धीरे ,

करके बातें मीठी - मीठी भार्इ साहब।

.

मंहगार्इ डार्इन का ऐसा कोप हुआ है ,

पैंट हो गर्इ सबकी ढीली भार्इ साहब।

.

प्रजातंत्र में गूँगी लड़की का बहुमत से ,

रखा गया है नाम सुरीली भार्इ साहब।

.

सबको रार्इ खुद को पर्वत समझ रहा…

Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 23, 2013 at 8:30pm — 10 Comments

गजल

काँटे हैं किस के पास में किस पे गुलाब है।

जनता के पास आज भी सबका हिसाब है।

.

पढ़कर के जिस किताब को बच्चे बहक गये ,

बोलो र्इमान वालो वो कैसी किताब है।

.

लालो गुहर नही है मेरे पास में मगर ,

जो कुछ भी मेरे पास है वो लाजबाब है।

.

बैठे है करके बंद वो दरवाजे खिड़कियाँ ,

ये सोचकर कि अपना मुकददर खराब है।

.

ये सच है हाथ पाँव में अब जान ही नही ,

जिन्दा लहू में अब भी मेरे इन्कलाब है।

.

अंगार को बुझाइये पानी…

Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 19, 2013 at 11:30am — 8 Comments

गजल

खड़े होकर सभी के सामने अक्सर दुतल्ले से।

जो बातें सच थीं ज्यों की त्यों कहीं हमने धड़ल्ले से।

.

सुना है राह के काँटे भी उसका कुछ न कर पाये,

मग़र पैरों मे छाले पड़ गये जूते के तल्ले से।

.

अकेला ही मैं दुश्मन के मुकाबिल में रहा अक्सर ,

मदद करने नही निकला कोर्इ बन्दा मुहल्ले से।

.

वो इन्टरनेषनल क्रिकेट की करते समीक्षा हैं,

नही निकले कभी भी चार रन तक जिनके बल्ले से।

.

तुम्हारे गाँव के बारे में ये मेरा तजुर्बा है,…

Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 7, 2013 at 10:30am — 17 Comments

ग़ज़ल

कलाम सबकी जुबाँ पर है लाकलाम तेरा।

सलाम करता है झुक कर तुझे गुलाम तेरा।

वो पाक़ साफ है इल्जाम न लगा उस पर,

करेगा काम वो वैसा ही जैसा दाम तेरा।

किसी को ताज़ किसी को दिये फटे कपड़े,

बड़े गज़ब का है दुनिया मे इन्तजाम तेरा।

जो अपने आप को पहुँचा हुआ समझते हैं,

समझ में उनके भी आता नहीं है काम तेरा।

तेरे ही नाम से होते हैं सारे काम मेरे,

मैं मरते वक्त तक लेता रहूँगा नाम तेरा।

मौलिक अप्रकाशित…

Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 4, 2013 at 8:00pm — 19 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें जी। तक़रार इस्त्रिलिंग है…"
11 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा हुआ बधाई स्वीकार करें जी। दिल में…"
16 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय निलेश "नूर" जी, आप लाजवाब ग़ज़ल लिखते है। बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तमाम आज़ी जी, उम्दा ग़ज़ल है आपकी। बधाई स्वीकार करें। आदरणीय तिलकराज जी के सुझावों से ये और…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल — 221 1221 1221 122 है प्यार अगर मुझसे निभाने के लिए आकुछ और नहीं मुखड़ा दिखाने के लिए…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रिचा जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय इंसान जी अच्छा सुझाव है आपका सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम का"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
5 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service