For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog – September 2013 Archive (8)

!!! सावधान !!!

!!! सावधान !!!

रूप घनाक्षरी (32 वर्ण अन्त में लघु)

दंगा करार्इये खूब, जीना सिखार्इये खूब, हर हाल में जीना है, कांटे बिछार्इये खूब।
अवसर भुनार्इये, जाति-धर्म लड़ार्इये, सौहार्द-भार्इचारा को, जिंदा जलार्इये खूब।।
गाते रहे तिमिर में, झींगुर श्वांस लय में, सर्प-बिच्छू देव सम, बाहें बढ़ार्इये खूब।
नारी दुर्गा काली सम, जया  शक्ति यशो गुन, महिषा-भस्मासुर सा, नाच दिखार्इये खूब।।

के0पी0सत्यम / मौलिक व अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 30, 2013 at 9:10pm — 15 Comments

!!! फकीरी में विरासत है !!!

!!! फकीरी में विरासत है !!!

जगो जालिम बढ़ो देखो

मिलन की र्इद आयी है,

दिवा से शाम तक सजदा

रात में तीर कसता है।



भुलाकर प्रेम की बातें

बढ़ाता द्वेष भावों को,

खुदा की शान को गाये

संभाले दीन की राहें।



मगर आयत भुला कर तू

सदा हैरान करता है,

करम है कत्ल अपनों का

बना तू पीर फिरता है।



गुनाहों को छिपाता है

खुदा को ताख में रखता,

चलाता तीर औ खंजर

नमाजी बन करे धोखा।



करे है घाव नश्तर से

छुरा…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 15, 2013 at 8:14am — 5 Comments

!!! डर गई है यह धरा !!!

!!! डर गई है यह धरा !!!

बह्र -2122 212



मिल गया रब देख ले।

क्या मिला सब देख ले।।



जिंदगी है मौत सी,

कल कहां कब देख ले।



राम जाने क्या हुआ,

आसमां अब देख ले।



रात काली हो गयी,

बर्फ का ढब देख ले।



कल जहां पर जश्न था,

मौत-घर अब देख ले।



फिर अहम आलाप है,

भोर की शब देख ले।



हम किसे आवाज दे,

साथ में रब देख ले।



रात ढलती जा रही,

निश अजायब देख ले।



आज आभा…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 14, 2013 at 5:57am — 12 Comments

!!! पाठशाला बेमुरव्वत !!!

!!! पाठशाला बेमुरव्वत !!!

लोग मन को जांचते हैं,

भांप कर फिर काटते हैं।।

जब किसी का हाथ पकड़ें,

बेबसी तक थामते हैं।

धूप में बरसात में भी,

छांव-छतरी झांकते हैं।

दोस्तों से दुश्मनी जब,

रास्ते ही डांटते हैं।

छोड़ते हैं दर्द विषधर

बालिका को साधते हैं।

आज गरिमा मर चुकी जब,

गीत - कविता भांपते हैं।

जिंदगी में शोर बढ़ता

रिश्ते सारे सालते हैं।

पाठशाला…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 10, 2013 at 10:22pm — 20 Comments

!!! सुख सभी तो चाहते हैं !!!

!!! सुख सभी तो चाहते हैं !!!

गजल बह्र - 2 1 2 2 2 1 2 2

प्रेम  पूंजी  बांटते  हैं।

सुख सभी तो चाहते हैं।

दुःख अपना कौन बांटे,

साये पल्ला झाड़ते हैं।

सुख बड़े चंचल भटक कर,

पल में घर से भागते हैं।

रोशनी जब भी निकलती,

चांद - सूरज  ताकते  हैं।

फिर कभी उलझन न होती,

सांझ सुख मिल बांटते हैं।

चांदनी जब तरू में उलझी,

वृक्ष  साया  शापते  हैं।

गर किसी ने की…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 7, 2013 at 9:26am — 18 Comments

!!! आत्मा रोज सफल है !!!

!!! आत्मा रोज सफल है !!!

बह्र- 2122 1122 1122 112

दीप तन तेल पिए, गर्व बढ़ाये न बने।

ज्ञान बाती से मिले, तेज बुझाये न बने।।

रोशनी खूब बढ़े, रात छिपाती मुख को,

भोर में भानु उदय, आंख मिलाये न बने।।

हम सफर राह में, मिलते हैं बिछड़ जाते हैं।

छोड़ते दर्द दिलों में, ये मिटाये न बने।।

तेल औ दीप मिले, तर्क खड़ा मौन रहे,

तेज लौ मस्त जले, अर्श बताये न बने।।

आत्मा रोज सफल है, सुविचारक बनकर।

जिन्दगी आज…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 7, 2013 at 9:15am — 14 Comments

!!! बूट पालिश !!!

!!! बूट पालिश !!!

एक मानुष की

कहानी

पढ़ गया कुछ

ढेर सारा

कर वकालत बुध्दि खोयी।

हो गया पागल

फकीरा!

घोर कलियुग में

बेचारा!

प्रेम पूरित बात करता।

चोप! चप चप

बक-बकाता,

बूट पालिश का

समां सब

साथ रखता,... बूट पालिश!

चोप! चप चप बक बकाता,

दौड़ कर फिर

रूक गया वह

चाय पीना याद आया।

एक चाहत,

चाय पीना

पूछता है चाय

वाला

क्या? फकीरा जज बनेगा!

हंस - हंसाता, चाय वाला।

कुछ इशारा कर

बढ़ा…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 5, 2013 at 7:01pm — 24 Comments

!!! मां शारदे !!!

!!! मां शारदे !!! //हरिगीतिका छन्द//

तुम दिव्य देवी बृहम तनुजा हृदय करूणा धारिणी।

संगीत वीणा ताल सरगम धर्म बृहमा चारिणी।।

कर कमल धारण हंस वाहन ज्ञान पुस्तक वाचिनी।

अति मधुर कोमल दया समता प्रेम रसता रागिनी।।1

कल्याणकारी सत्यधारी श्वेत वसनं शोभनं।

संसार सारं कंज रूपं वेद ज्ञानं बोधनं।।

मन प्रीत प्यारी रीति न्यारी प्रकृति सारी धारती।

सब देव-दानव जीव-मानव शरण आते तारती।।2

उध्दार करती द्वेष हरती पाप-संकट काटती।

तुम तेज रूपं…

Continue

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 1, 2013 at 10:29pm — 16 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service