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Neeraj Nishchal's Blog – September 2014 Archive (3)

फिर कोई दिल मेँ न आया

2122 2122 2122 212



फिर कोई दिल मेँ न आया इक तेरे आने के बाद ।

फिर न कुछ खोया न पाया इक तुझे पाने के बाद ।



हमने देखेँ हैँ तुम्ही मेँ अपने दोनोँ ही जहाँ ,

हम कहाँ जायेगेँ हमदम तेरे ठुकराने के बाद ।



हमनेँ पी आँखोँ से तेरी शोख जामेँ जिन्दगी ,

कोई मधुशाला न देखी तेरे मयखाने के बाद ।



अपने होने की खबर भी दो घडी रहती है अब ,

इक तेरे आने से पहले इक तेरे जाने के बाद ।



दिन गुजारा हमने सारा बस खयालोँ मेँ तेरे ,

और फिर यादोँ की… Continue

Added by Neeraj Nishchal on September 20, 2014 at 4:00am — 5 Comments

हमारी दिल परस्ती का

1222 1222 1222 1222



हमारी दिल परस्ती का वो ये ईनाम देता है ।

हमारे दिल के टुकडे कर हमेँ इल्जाम देता है ।



सयाना खुद को हमको नासमझ पागल समझता है ,

दगाओँ को सदा अपनी वफा का नाम देता है ।



हमारा दिल दुखाने की हदेँ सब तोड दी उसने ,

हमारे सामने गैरोँ का दामन थाम लेता है ।



कभी बसने नहीँ देता हमारी ख्वाहिशोँ का घर ,

इरादोँ को फकत अपने सदा अंजाम देता है ।



तरसती हूँ मै उसके प्यार के दो बोल की खातिर ,

जो चुभते हैँ मुझे ताने वो… Continue

Added by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 1:36am — 9 Comments

चलो मयकदे मेँ

चलो मयकदे मेँ जमाने मेँ क्या हैँ ।

अगर लुत्फ है तो उठाने मेँ क्या है ।



न पाया जमाने मेँ कुछ भी रहकर ,

अब मयकदा आजमाने मेँ क्या है ।



भर जायेगी जब पैमानोँ मेँ मय ,

फिर उसको पीने पिलाने मेँ क्या है ।



खुदा का तसव्वुर जब हर जगह है ,

फिर सर यहाँ भी झुकाने मेँ क्या है ।



जब राज दिल के सब खुल गये होँ ,

परदा नजर का गिराने मे क्या है ।



न इन्सान समझे जब दिल की कीमत ,

दिल मयकशी से लगाने मेँ क्या है ।



सिवा तेरे तू… Continue

Added by Neeraj Nishchal on September 14, 2014 at 1:42am — 17 Comments

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