थाम लो इन आंसुओं को
बह गए तो ज़ाया हो जाएंगे
इन्हें खंजर बना कर पेवस्त कर लो
अपने दिल के उस हिस्से में
जहाँ संवेदनाएं जन्म लेती हैं
उसके काँधे पर रखी लाश से कहीं ज्यादा वज़न है
तुम्हारी उन संवेदनाओं की लाशों का
जिन्हें अपने चार आंसुओं के कांधों पर
ढोते आए हो तुम
अब और हत्या मत करो इनकी
संवेदनाओं का कब्रस्तान बनते जा रहे तुम
हर ह्त्या, आत्महत्या, बलात्कार पर
एक शवयात्रा निकलती है तुम्हारी आँखों…
Added by saalim sheikh on August 26, 2016 at 1:00am — 4 Comments
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