२१२२ २१२२ २१२२ २१२
इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
वैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर जावेंगे क्या
आप आ'ला हैं तो हमको हक़ हमारा दीजिये
आपके रहम-ओ-करम पे जीस्त जी पावेंगे क्या
इल्म का अब हाल…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on August 19, 2025 at 11:30pm — 6 Comments
२२ २२ २२ २२ २२ २
चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
हो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल के
हर पल अपना जिगर जलाना पड़ता है
तब जाके अल्फाज़ महकते हैं दिल के
नफ़रत बो कर लोगों के ज़ह्न–ओ–दिल में
ख़्वाब दिखाते हैं साहिब मुस्तक़बिल के
कश्ती की हस्ती है बीच भँवर लेकिन…
ContinueAdded by Aazi Tamaam on August 13, 2025 at 3:00pm — 7 Comments
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