For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU''s Blog – May 2016 Archive (4)

आईना बन के कभी सामने आया न करो - बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

212 2112 2112 222

प्यार में तुम मेरे ऐवों को दिखाया न करो|

आईना बन के कभी सामने आया न करो|

 

फ़ितनागर लोग ज़माने में बहुत देखें हैं,

हर किसी को कभी अब दोस्त बनाया न करो|

 

जाग उठाते हैं मेरे मन में सवालात कई,

हर किसी दर पे कभी सर को झुकाया न करो|

 जिनकी ताबीर न मुमकिन हो कभी जीवन में,

ऐसे सपने कभी आँखों में सजाया न करो|

 

एक दिन देखना छिड़केंगे नमक ज़ख्मों पर,

ज़ख्म अपने कभी अपनों को दिखाया…

Continue

Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 30, 2016 at 10:30pm — 10 Comments

हमारी दिल्ली में- बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान - 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2

 

पैसों का व्यापार हमारी दिल्ली में|   

गुंडों की सरकार हमारी दिल्ली में|

 

साँप–सपोले जब से संसद जा पहुंचे ,

ज़हरों का व्यापार हमारी दिल्ली में|

 

लूट रहे है अस्मत मिलकर सब देखो,

हैं भारत माँ लाचार हमारी दिल्ली में|

 

जाति-धरम के नाम पे मिलती नौकरियाँ

हम जैसे बेकार हमारी दिल्ली में |

 

लालकिला, जंतर-मंतर सब रोते हैं,

अब गुल ना गुलज़ार हमारी दिल्ली…

Continue

Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 24, 2016 at 6:00pm — 7 Comments

कोई सीखे आपसे - बैजनाथ शर्मा 'मिंटू'

अरकान - 2122   2122   2122   212

 

दिल लगाकर दिल चुराना कोई सीखे आपसे|

तौर ये सदियों पुराना कोई सीखे आपसे|         

 

कल सुबह नज़रें मिली औ शाम को ही गुफ्तगू,

रात को सपनों में आना कोई सीखे आपसे|

 

आपकी मख्मूर आँखें गोया मय के जाम हैं,

ये अदाएँ कातिलाना कोई सीखे आपसे|

 

सैंकड़ो उल्फ़त में अबतक बन गए हैं आशना,

इश्क में पागल बनाना कोई सीखे आपसे|

 

पीठ पीछे प्यार का इकरार करते हैं मगर,

सामने…

Continue

Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 7, 2016 at 4:00pm — 2 Comments

पैसा:बैजनाथ शर्मा ‘मिंटू’

अरकान – 1222 1222 1222 1222

 

कभी चाहत कभी हसरत कभी श्रृंगार है पैसा 

कभी है फूल तो देखो कभी तलवार है पैसा |

 

जुदा माँ-बाप से कर दे लड़ाए भाई-भाई को,

बहाए खून का दरिया तो फिर बेकार है पैसा|

 

खुदा का शुक्र है घर में बरसती है सदा खुशियाँ, 

कि रहते साथ सब मिलकर मेरा परिवार है पैसा|

 

इसे पाने की खातिर ही जहां में खोया है सब कुछ

मेरे आपस के सम्बन्धों में ये दीवार है पैसा…

Continue

Added by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on May 6, 2016 at 10:30pm — 3 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service