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सुनील प्रसाद(शाहाबादी)'s Blog – April 2015 Archive (2)

एक हिंदी ग़ज़ल/आ चली आ सितम

बह्र-212 212 212 212

बाअदब नजरे पेश

---------------------

चीज है क्या ज़रा देख लूँ बेरहम।

दर्द की है कसम आ चली आ सितम। (१)

****

नूर तो आँख का ले गये हो चुरा,

चाँदनी रात का दे रहे क्यों भरम। (२)

****

हो रही नग्न है नाचती ये ख़ुशी,

क्या नजर चाहती देखना ये हरम। (३)

****

देश को बेचतें आज भी लोग जो,

मोल दे दो उन्हें बेच देगें धरम। (४)

****

माँगते हम नहीं भीख तुमसे कभी,

राह चलते गिरें सम्हलें क्या शरम।… Continue

Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 7, 2015 at 1:30pm — 27 Comments

हिंदी गजल: बहरे हजज मुसद्दस (6) सालिम

1222 1222 1222

""""""""""""""""""""'"""""""'''"''''''

गजब ये रंग देखा है जमाने का।

सहारा है सभी को इक बहाने का।

*****

नजर के तीर से कर चाक दिल मेरा,

कहेगें हाल तो कह दो निशाने का।

*****

रही आदत खिलौना प्यार को समझा,

किया है खेल रोने औ रुलाने का।

*****

हमारा दर्द ही हमको सिखाया है,

बुरे हालात में, हँसने हँसाने का।

*****

मरा है क्यों उसीपे ऐ दिवाना दिल,

हिदायत दे गया जो छोड़ जाने का।

*****

तड़पते देख हैं-हैरान…

Continue

Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 2, 2015 at 12:00pm — 11 Comments

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