For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mahesh Jee's Blog – April 2010 Archive (5)

"मजदूर"(१ मई मजदूर दिवस पर विशेष)

देह के चमड़ी धुप मे जलावेला,

खून के पसीना बनाके बहावेला,

रुखा सूखा खाके पेट के आग बुझावेला,

सुते खातीर धरती के बिछवना,

अकाश के ओढ़ना बनावेला,

लोग उनका सम्मान मे,

मजदूर दिवस मनावेला ।



सूई से लेके जहाज ले,

सब कुछ मजदूर बनावेला,

ओकरा बादो उनकर नाम,

कबो सामने ना आवेला,

सृजन करीहे मजदूर,

अफसर काटेले फिता,

फिर भी मजदूर आपन,

सेवा हम सब के देता।



सेठ जी जबरन काम करावेले,

मजदूरी मांगे पर डंडा देखावेले,

बंधुवा… Continue

Added by Mahesh Jee on April 30, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

अइसन होले नेता

आईल जब चुनाव त नेता जी दिहले दिखाई ।

हाथ जोड़ के सबसे कहले वोट हमरे के दिहजा भाई।। दिन मे हाथ जोड़ पाव पड़ सबसे वोट मंगीहे भाई। राती मे घरे घरे नोट , दारु के गंगा दिहे बहाई।।

करिहे वादा कि बिजली हैन्डपम्प घरे घरे देब लगवाई।

सड़क नाली स्कूल तलाब नहर सब कुछ देब बनवाई।।

आप सब मिल के हमके सांसद दिही बनाई।

सब कर मनरेगा मे काम देब लगवाई।।

अगर बन जाइब मंत्री त अफसर लोग के दिमाग देब ठिक कराई।

आप सब के अन्नपुर्णा योजना के कार्ड घरे घरे देब पहुचाई।।

दारु गुन्डागर्दी के… Continue

Added by Mahesh Jee on April 17, 2010 at 11:41pm — 4 Comments

जाने एक पहाड़ी को

आप अब तक ये जानते है कि किसी ढलान पर कार को न्यूट्रल मे कर दे तो वह निचे की तरफ लुढकने लगती है। लेकिन फ्लोरिडा के लेक वेल्स का स्पूक हिल इलाका अपने आप मे एक अजुबा है जहा पर फिजिक्स के नियमो के विपरीत काम होता हैं। ग्रेविटेशनल ला के हिसाब से कोई भी वस्तु ऊपर से नीचे की तरफ आती है। पर स्पूक हिल पे वस्तु नीचे से ऊपर कि तरफ जाती हैं। यहां आकर लोग पहाड़ी के निचे अपनी कार खड़ी कर देते हैँ। कुछ ही पल मे कार अपने आप पहाड़ी पर चढ़ने लगती हैँ। यहा ऐसा कुछ भी नही दिखता जिससे पता चले कि कोई अज्ञात ताकत कारो को… Continue

Added by Mahesh Jee on April 15, 2010 at 3:32pm — 4 Comments

आँसू

केहू के प्यार के एहसास बा आँसू। केहू के खुशी के अरमान बा आँसू । केहू के जिनगी के फरमान बा आँसू। केहू के याद के अन्जाम बा आँसू। केहू के आँख के अल्फाज बा आँसू। केहू के जुदाई के दर्द जान बा आँसू। केहू के बेवफाई के इल्जाम बा आँसू। केहू के बुझल दिल के जुबान बा आँसू। केहू के मौत के पैगाम बा आँसू। केहू के विदाई के रस्म रिवाज बा आँसू। केहू से मिलल प्यार के दर्द जवाब बा आँसू। जी के जिनगी के हिसाब बा आँसू।

Added by Mahesh Jee on April 12, 2010 at 11:53pm — 1 Comment

मजबुर कानून

सरकार भइल हिजड़ा,नेता भइले दलाल।

रोअता कानून देश भइले बेहाल।।

ऊपर से लेके निचे तक सबकर बा आपस मे मेल। दलाली देला के बल पर कुछु करत रह खेल।। सरकार बनावे खातिर नक्सलियनो से हो जाई मेल।

भलही रोजे नक्सली जनता के निकाले तेल।। नक्सलियन के गोली से 76 गो जवान के साँस रुठ गईल।

तवनो पर कहेले चिदंबरम कि सुरक्षा बल से हि भूल हो गईल।।

दलाली खइहे ताबुत के, कांड करीहे हवाला।

तबो इ कहिये कि हम हई कानून के रखवाला।। विदेशी त विदेशी जब देशीये करता जनता के हलाल।

कहा जायी जनता आ… Continue

Added by Mahesh Jee on April 7, 2010 at 10:53pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service