For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ASHVANI KUMAR SHARMA's Blog – March 2011 Archive (8)

jhamele ho gaye

आसमां के हाथ मैले हो गये
ये महल कैसे तबेले हो गये
 
जो खनकते थे कभी कलदार से 
अब सरे बाज़ार धेले हो गये
 
घूमती थी बग्घियाँ किस शान से
आजकल सड़कों पे ठेले हो गये
 
इस शहर में कौन बोलेगा भला 
लोग ख़ामोशी के चेले हो गये
 
देखिये तो छक्के पंजे जब मिले 
कल के नहले आज दहले हो गये
 
अपनी खुद्दारी…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 22, 2011 at 10:41pm — 7 Comments

holi hai

होली की मुबारकबाद के साथ आप के लिए चन्द दोहे
 
सहजन फूला साजना,महुआ हुआ कलाल
मौसम दारु बेचता,हाल हुआ बेहाल
 
गेंहू गाभिन गाय सा,चना खनकते दाम
महुआ मादक हो गया,बौराया है आम
 
गौरी है कचनार सी,नैनों भरा उजास
पिया बसंती हो गए,आया है मधुमास
 
फगुनाया मौसम हुआ,अलसाया सा गात
चौराहे होने लगी तेरी मेरी बात
 
सतरंगी है…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 18, 2011 at 12:42pm — 4 Comments

mausam hai aata jaata hai

इस का कब पक्का नाता है 
मौसम है,आता, जाता है
 
सपनों को समझाऊँ कैसे 
जब जी चाहे तू आता है
 
कोई नदी दीवानी होगी 
तभी समंदर अपनाता है
 
सन्नाटा चाहे दिखता हो 
एक बवंडर गहराता है
 
बच्चा जब सीधा बूढ़ा हो
खून रगों में जम जाता है
 
जिन्हें चलाना आता,उन का
खोटा सिक्का चल जाता…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 17, 2011 at 10:19pm — 1 Comment

रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के

रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के 
भूले जैसे हर्फ़ किताबों के
 
ये मिलना भी कोई मिलना है 
इस से अच्छे दौर हिजाबों के
 
सीधी सच्ची बातें कौन सुने 
शैदाई है लोग अजाबों के
 
दौर फकीरी का भी हो जाये 
कब तक देखें तौर रुआबों के 
 
 ना छिपता,ना पूरा दिखता है
पीछे जाने कौन नकाबों के
 
कई सवारों ने ठोकर खाई 
जाने…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 12, 2011 at 2:30am — 7 Comments

यूँ हुआ क्यूँ कर

 
ज़िक्र बदरंग हर हुआ क्यूँ कर
हर ख़ुशी के लिए दुआ क्यूँ कर
 
नाव कागज़ की खूब तैरे है 
आदमी इस तरह  हुआ क्यूँ कर
 
आज तक धडकनों में तूफां हैं 
आप ने इस क़दर छुआ क्यूँ कर
 
लोग चुपचाप क़त्ल देखे है
कौन पूछे कि ये हुआ क्यूँ कर
 
या कि राजा है या कि रंक यहाँ 
ज़िन्दगी  इस क़दर जुआ क्यूँ कर
 
मैंने रस्ते बनाये आप…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 11, 2011 at 12:00am — 6 Comments

क्या जाने

क्या जाने
 
अब मेरे ज़ब्र के है क्या माने
तू कहे क्या,करे ,ये क्या जाने
 
आँख को मूंदना अदा गोया 
पाँव छाती पे,कब हो,क्या जाने
 
फैलना इक नशा शहर का है
गाँव कब खो गया ये क्या जाने
 
मंद कंदील तुम ने बाले तो 
रोशनी हो न हो ये क्या जाने
 
हम मुसाफिर है तो चलेंगे ही 
राहे मंजिल है क्या,ये क्या…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 8, 2011 at 8:30am — 4 Comments

ek ghazal

एक ग़ज़ल 
 
रिरिया रहे है लोग 
घिघिया रहे है लोग
 
उद्घोष होना चाहिए 
मिमिया रहे है लोग
 
बेदर्द क़त्ल है ये 
बतिया रहे है लोग
 
है वक़्त पूनियों सा 
कतिया रहे है लोग
 
संवेदना मरी है
खिसिया रहे है लोग
 
धोखे की टट्टियों को 
पतिया रहे है…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 5, 2011 at 10:55am — 5 Comments

ek ghazal

कैसे किस्से सामने आने लगे 
लोग कुछ बेबात शर्माने लगे
 
कल जिन्होंने पीठ में घोंपा छुरा 
हमदर्द बन वो घाव सहलाने लगे
 
ये सहर चूजे सी जाये किस जगह 
हर तरफ है बाज मंडराने लगे
 
वाल्मीकि है नहीं कोई यहाँ 
क्रौंच-वध कर लोग इतराने लगे
 
पेट मोटे हो गए बेबात जो 
भूख के वो अर्थ समझाने लगे
 
है…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 4, 2011 at 9:20am — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
1 hour ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service