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रामबली गुप्ता's Blog – February 2018 Archive (2)

गीत-भावना में प्रेम का रस घोल प्यारे-रामबली गुप्ता

गीत

भावना में प्रेम का रस घोल प्यारे।

प्रेम जीवन में बड़ा अनमोल प्यारे।

भावना में.........

शब्द-शर मुख से निकल कर लौटते कब?

घाव ये गहरे करें हिय में लगें जब।

कर न दें आहत किसी को शब्द तेरे,

मृृदु मधुुुर मकरन्द वाणी बोल प्यारे।

भावना में ........

मत बड़ा छोटा किसी को मान जग में।

काम आ जाए भला कब कौन मग में?

स्नेह का सम्बन्ध ही सबसे उचित है,

तथ्य यह मन की तुला में तोल प्यारे।

भावना…

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Added by रामबली गुप्ता on February 17, 2018 at 9:00pm — 8 Comments

नव प्रेम राग सिरजाय चली-रामबली गुप्ता

लच-लचक-लचक लचकाय चली,
कटि-धनु से शर बरसाय चली।

कजरारे चंचल नयनों से,

हिय पर दामिनि तड़पाय चली।।1।।



फर-फहर फहर फहराय चली,

लट-केश-घटा बिखराय चली।

अलि मनबढ़ सुध-बुध खो बैठे,

अधरों से मधु छलकाय चली।।2।।



सुर-सुरभि-सुरभि सुरभाय चली,

चहुँ ओर दिशा महकाय चली।

चम्पा-जूही सब लज्जित हैं,

तन चंदन-गंध बसाय चली।।3।।



लह-लहर-लहर लहराय चली,

तन से आँचल सरकाय चली।

नव-यौवन-धन तन-कंचन से,

रति मन में अति भड़काय…
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Added by रामबली गुप्ता on February 14, 2018 at 2:28am — 6 Comments

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