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Lata R.Ojha's Blog – January 2011 Archive (10)

स्वप्न और यथार्थ...

थाम के मैं हाथ तेरा चल पड़ी सपनों के नगर ..

एक अनजाना सा घर, एक  अनजानी डगर ..

ठान के ,हूँ साथ तेरे,कितना भी हो कठिन ये सफ़र..

पार भव कर ही लेंगे साथ मेरे तुम हो अगर..

 

छोड़ना मत हाथ मेरा तुम कभी वो हमसफ़र..

प्यार से सजाएंगे हम अपना ये प्रेम नगर..

करना नज़रंदाज़ मेरी गलती हो कोई अगर..

कोशिश तो बस ये मेरी, नेह में न हो कोई…

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Added by Lata R.Ojha on January 30, 2011 at 7:30pm — 8 Comments

वो स्थिर ...

कुछ भी तो स्थिर नहीं..

ना घूमती धरा…
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Added by Lata R.Ojha on January 30, 2011 at 12:30am — 5 Comments

खुद को सौंपा अब मैंने 'उनको '..



ओस की बूँद सी आँखों में सिमट आयी है...

फिर भी  क्यों लब पे हंसी छाई है..

सांझ का धुंधलका मेरे आसपास सिमटा है..

जैसे मेरे ज़ेहन की परछाई है..

 

क्यों मिले थे तुम ? क्यों पास हम आये थे?

क्यों अनजान बन के ख्वाब सजाये थे?

एक पत्थर से वो ख़्वाबों का घर बिखरा है..

जो हम अनजाने थे तो पहचाने से क्यों थे ?…

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Added by Lata R.Ojha on January 28, 2011 at 11:00pm — 3 Comments

आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ..

विश्व शक्ति बने और  लहराता रहे ..

गीत अपनी तरक्की के गाता रहे..
कोई छू न सके वो बुलंदी मिले..
भूल शिकवे सभी साथ मिल के चलें..
आंच आये नहीं आन पे अब…
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Added by Lata R.Ojha on January 25, 2011 at 11:30pm — 9 Comments

तेरे आने का सपना लेकर..

मैं बेखुद सी दीवानी सी ,

तेरी यादों में खोयी सी..
फिर से हर वो पल जीती हूँ..
जब..…
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Added by Lata R.Ojha on January 20, 2011 at 3:30pm — 8 Comments

ज़िन्दगी..

कुछ ज़िन्दगी का साथ मैंने यूं निभाया ..

कभी आग पे चली और कभी लुत्फ़ उठाया ..


कभी तूफ़ान से लड़ी तो कभी साथ उड़ चली…
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Added by Lata R.Ojha on January 19, 2011 at 8:00pm — 6 Comments

मैं.. बस एक अंश..

उस दिव्य ज्योति की अंश मात्र..

हूँ उस असीम की कृपापात्र..

इस रंगमंच पे जीना है..

कुछ वर्ष-माह मुझे मेरा पात्र..



कुछ ज्ञान कहीं जो सुप्त सा है..

उसको जड़ता से…

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Added by Lata R.Ojha on January 16, 2011 at 4:30am — 2 Comments

कभी मुझसे जो उसने मोहब्बत की होती..

कभी मुझसे जो उसने मोहब्बत की होती..



उसकी आँखों में भी तो नमी होती ..…
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Added by Lata R.Ojha on January 11, 2011 at 11:30pm — 2 Comments

ताउम्र...

कुछ आहटें गूंजती रह जाती हैं ..



हम कयास ही लगाते रह जाते हैं..…
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Added by Lata R.Ojha on January 9, 2011 at 10:30pm — No Comments

मिले सुर मेरा तुम्हारा...

 

 

नब्ज़ टटोलोगे तो कोई रोग पकड़ आएगा

 झूठ का रंग भी सच पर से उतर जाएगा

क्यों कहते हो माथे पे लगाया है चन्दन
लहू है ये ,एक दिन ,सबको पता…
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Added by Lata R.Ojha on January 2, 2011 at 12:00am — 1 Comment

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