For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कल्पना रामानी's Blog – January 2014 Archive (5)

गज़ल... बागों बुलाती है सुबह (कल्पना रामानी)

रात पर जय प्राप्त कर जब जगमगाती है सुबह।

किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।

 

त्याग बिस्तर, नित्य तत्पर, एक नव ऊर्जा लिए,

लुत्फ लेने भोर का, बागों बुलाती है सुबह।   

 

कालिमा को काटकर, आह्वान करती सूर्य का,

बाद बढ़कर, कर्म-पथ पर, दिन बिताती है सुबह।

 

बन कभी तितली, कभी चिड़िया, चमन में डोलती,

लॉन हरियल पर विचरती, गुनगुनाती है सुबह।

 

फूल कलियाँ मुग्ध-मन, रहते सजग सत्कार को,

क्यारियों फुलवारियों को,…

Continue

Added by कल्पना रामानी on January 31, 2014 at 10:30am — 28 Comments

मिली हमें स्वतन्त्रता//गीत//कल्पना रामानी

  

मिली हमें स्वतन्त्रता, अनंत शीश दान से।

निशान तीन रंग का, तना रहे गुमान से।

 

प्रतीक रंग केसरी, जुनून, जोश, क्रांति का,

दिखा रहा सुमार्ग है, सफ़ेद विश्व शांति का।

रुको न चक्र बोलता सिखा रहा हमें…

Continue

Added by कल्पना रामानी on January 26, 2014 at 9:42am — 8 Comments

गजल (कल्पना रामानी)

मात्रिक छंद

जो रस्मों को मन से माने, पावन होती प्रीत वही तो!

जीवन भर जो साथ निभाए, सच्चा होता मीत वही तो!

 

रूढ़ पुरानी परम्पराएँ, मानें हम, है नहीं ज़रूरी।

जो समाज को नई दिशा दे, प्रचलित होती रीत वही तो!

 

मंदिर-मंदिर चढ़े चढ़ावा, भरे हुओं की भरती झोली।

जो भूखों की भरे झोलियाँ, होता कर्म पुनीत वही तो!

 

ऐसा कोई हुआ न हाकिम, जो जग में हर बाज़ी जीता,

बाद हार के जो हासिल हो, सुखदाई है जीत वही…

Continue

Added by कल्पना रामानी on January 21, 2014 at 11:00pm — 18 Comments

तुम पथिक आए कहाँ से (नवगीत) - कल्पना रामानी

तुम पथिक, आए कहाँ से,

कौनसी मंज़िल पहुँचना?

इस शहर के रास्तों पर,

कुछ सँभलकर पाँव धरना।

 

बात कल की है, यहाँ पर,

कत्ल जीवित वन हुआ था।

जड़ मशीनें जी उठी थीं,

और जड़ जीवन हुआ था।

 

देख थी हैरान कुदरत,

सूर्य का बेवक्त ढलना।

 

जो युगों से थे खड़े

वे पेड़ धरती पर पड़े थे। 

उस कुटिल तूफान से, तुम  

पूछना कैसे लड़े थे।

 

याद होगा हर दिशा को,

डालियों का वो…

Continue

Added by कल्पना रामानी on January 16, 2014 at 10:30am — 26 Comments

दिवस हो चले कोमल-कोमल (नवगीत)-कल्पना रामानी

सर्द हवा ने बिस्तर बाँधा,

दिवस हो चले कोमल-कोमल।

 

सूरज ने कुहरे को निगला।

ताप बढ़ा, कुछ पारा उछला।

हिमगिरि पिघले, सागर सँभले,

निरख नदी, बढ़ चली चंचला।

 

खुली धूप से खिलीं वादियाँ,

लगे झूमने निर्झर कल-कल।

नगमें सुना रही फुलवारी

गूँज उठी भोली किलकारी

खिलती कलियाँ देख-देखकर

भँवरों पर छा गई खुमारी।

 

देख तितलियाँ, उड़ती चिड़ियाँ,

मुस्कानों से महक रहे पल।

 

अमराई…

Continue

Added by कल्पना रामानी on January 10, 2014 at 10:00am — 27 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service