For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Swastik Sawhney
  • Male
  • Meerut, UP
  • India
Share on Facebook MySpace

Swastik Sawhney's Groups

 

Swastik Sawhney's Page

Latest Activity

Samar kabeer commented on Swastik Sawhney's blog post अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)
"जनाब स्वस्तिक जी आदाब,अच्छी कविता लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।"
Dec 8, 2019
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Swastik Sawhney's blog post अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)
"आ. स्वस्तिक जी, समसामयिक विषय पर सारगर्भित रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Dec 4, 2019
Swastik Sawhney commented on Swastik Sawhney's blog post अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)
"आदरणीय सुरेंद्र जी, यह मेरी हिंदी भाषा में द्वितीय किन्तु इस मंच पर प्रथम कविता है। अपनी इस कविता पर आपके द्वारा मिली सकारात्मक टिप्पणी से मुझे प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। हृदय से आपका आभार सर।"
Dec 4, 2019
नाथ सोनांचली commented on Swastik Sawhney's blog post अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)
"आद0 स्वस्तिक जी सादर अभिवादन। बढ़िया समसामयिक विषय को संदर्भित कर भाव पूर्व सृजन किया है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये।"
Dec 3, 2019
Swastik Sawhney posted a blog post

अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)

कैसे दे दी हामी तेरे ज़मीर ने?कैसे हो पायी इतनी दरिंदगी हावी तुझ पर?कि चीख पड़ी इंसानियत भी सुन,और शर्मिंदा हो गई हैवानियत भी देख।क्या नहीं दहला तेरा अंतर्मन देख उसको छटपटाता?क्या नहीं काँपी तेरी काया सुन उसकी चीखें?क्या नहीं रोयी तेरी रूह कर उसे राख़?क्या नहीं था ख़ौफ रब-ए-जलील का?कब तक शर्मसार करेगा अपने जन्मदाता को?कब तक अपमानित करेगा राखी के उस वचन को?कब तक ज़लील करेगा रिशतों के पवित्र बन्धनों को?कब तक, आखिर कब तक?जान और समझ ले तू,कि ये नाज़ुक और ख़ूबसूरत जिस्म,अब न सहेंगे तेरा वहशीपन,वो दिन…See More
Dec 2, 2019
Swastik Sawhney replied to Swastik Sawhney's discussion Let's Work for our Soul in the group English Literature
"Dear Swastik Sawhney, Beautiful expression of thoughts in a most empathetic manner. Great going. Wonderful piece of poetry. Congratulations."
Nov 24, 2019
Swastik Sawhney added a discussion to the group English Literature
Thumbnail

Let's Work for our Soul

Let's Work for our Soul Deplorable, Devastating, Disheartening their condition was. Garbage, Dirt, Poverty Unfortunate their life was. Irrespective of all odds and pains Surreal, Sublime, Satisfying Their smiles were, Inwards & outwards visible with Joyful, delighted, happy faces In the wait of distributions. My heart full of sense of gratitude Overflowed with humanity & humbleness Stood there, passing eatables Felt, as if they were not just grains But lot more than that. Wondering.. !…See More
Nov 21, 2019
Swastik Sawhney joined Admin's group
Thumbnail

English Literature

You can write English literature in this Group.See More
Nov 20, 2019
Swastik Sawhney updated their profile
Nov 20, 2019
Swastik Sawhney is now a member of Open Books Online
Nov 20, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Meerut, UP
Native Place
Meerut
Profession
Student
About me
An enthusiastic teenager exploring and enhancing my creative writing skills through the strongest formula of ever learning strategy.

Swastik Sawhney's Blog

अब न मिलेगी शह तुझे। (अतुकांत कविता)

कैसे दे दी हामी तेरे ज़मीर ने?

कैसे हो पायी इतनी दरिंदगी हावी तुझ पर?

कि चीख पड़ी इंसानियत भी सुन,

और शर्मिंदा हो गई हैवानियत भी देख।

क्या नहीं दहला तेरा अंतर्मन देख उसको छटपटाता?

क्या नहीं काँपी तेरी काया सुन उसकी चीखें?

क्या नहीं रोयी तेरी रूह कर उसे राख़?

क्या नहीं था ख़ौफ रब-ए-जलील का?

कब तक शर्मसार करेगा अपने जन्मदाता को?

कब तक अपमानित करेगा राखी के उस वचन को?

कब तक ज़लील करेगा रिशतों के पवित्र बन्धनों को?

कब तक, आखिर कब…

Continue

Posted on December 2, 2019 at 11:15am — 5 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
8 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
20 minutes ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
2 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service