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Jatinder Aulakh
  • Male
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Gender
Male
City State
Amritsar
Native Place
Kohali
Profession
Editor
About me
I am editor of The Swan . English Literary Magazine.

Jatinder Aulakh's Blog

ग़ज़ल- जतिंदर औलख

मेरे शब्दों के मायाजाल को तुम याद कर लेना,

दहकती आंधियों में फिर भले परवाज़ भर लेना।



हवा की महक होकर तुम मेरी सासों में बस जाना,

खुद को तुम खुदी से इस तरह आजाद कर लेना।



पवन हो तुम मैं बादल हूँ उडूंगा आसरे तेरे,

ज़माने के लिए रिश्ते का कुछ भी नाम रख लेना।



दुनीआ ने गिरा दिया नज़रों के परबत से हमे,

मुझ दरिया को सागर बन के तू बाँहों में भर लेना।



है सूखे बाग़ के लहजे में मुझको ख़ुदकुशी करनी,

आंधी बन के आने का कभी इकरार कर… Continue

Posted on July 24, 2015 at 12:21pm — 7 Comments

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At 4:01pm on July 22, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

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 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

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