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Ajay Kumar
  • Male
  • Mirzapur
  • India
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Ajay Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आद,,, जयनित जी,,,, हार्दिक आभार आपका,,, "
May 27, 2023
Ajay Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आदरणीय नादिर ख़ान जी अच्छी गजल कही आपने बधाई "
May 27, 2023
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"आदरणीय जनित जी सुन्दर ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये "
May 27, 2023
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"आद. शकूर साहब,,, खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई "
May 27, 2023
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"आदरणीय लक्ष्मण साहब,,,, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई हार्दिक बधाई "
May 27, 2023
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"वाह,,, वाह,,,, आदरणीय संजय सर,,,, उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई "
May 27, 2023
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"आदरणीय चेतन साहब,,, सुन्दर प्रयास के लिए बधाई "
May 27, 2023
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"आद नाथ सोनाँचली जी,,, बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने जिसके लिए हार्दिक बधाई प्रेषित कर रहा हूँ "
May 27, 2023
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"बहुत ख़ूब,,, आदरणीय अमित जी       हार्दिक बधाई,,,, स्वीकार कीजिए "
May 27, 2023
Ajay Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"आद. नादिर ख़ान साहिब,,,, शुक्रिया "
May 27, 2023
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"आदरणीय धामी सर,,, हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया "
May 27, 2023
Ajay Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"शुक्रिया आद ज़ैफ जी "
May 27, 2023
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"आदरणीय अमित साहब,,,, आपके संशय पर अवश्य विचार करूँगा हौसला अफज़ाई के लिए  बहुत बहुत आभार आपका "
May 27, 2023
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"आदरणीय समर साहब,,,     बेहतरीन सुझाव के लिए         बहुत बहुत शुक्रिया आपका "
May 27, 2023
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"आदरणीय नीलेश साहब,,,, आपके सुझाव अनुसार सुधार करने का प्रयास करूँगा, बहुत बहुत आभार आपका "
May 27, 2023
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"आदरणीय रवि सर ,,,, बहुत बहुत आभार आपका "
May 27, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
Chunar
Profession
Business
About me
Businessman, Poet,

Ajay Kumar's Blog

क़िस्मत के मेरे पन्ने ही कोरे निकल गए (ग़ज़ल)

दिल में जो मेरे ख़्वाब मुहब्बत के पल गए

इस ज़िन्दगी के सारे मआनी बदल गए

ग़ैरों में इतना दम कहाँ था मात दे सकें 

अपने समर के बीच विभीषण निकल गए 

आहों का मेरी उन प नहीं कुछ असर हुआ

सुन कर मगर उसे कई पत्थर पिघल गए

उसकी जुदाई में मेरी हालत को देख कर

यमराज के भी भेजे फ़रिश्ते दहल गए

दावा था जिनका साथ निभाएँगे उम्र भर

ग़ुर्बत में जीता देख के रस्ते बदल गए 

उसको मैं बेवफ़ाई का दूँ दोष किस…

Continue

Posted on April 11, 2023 at 8:48pm

(ग़ज़ल) जो सच का पैरोकार नहीं

22     22     22     22

 

जो सच का पैरोकार नहीं 

वो काग़ज़ है अख़बार नहीं 

 

बेशक मैं गुल का हार नहीं

पर नफ़रत का भण्डार नहीं 

 …

Continue

Posted on April 4, 2023 at 9:00pm — 2 Comments

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At 10:47am on April 9, 2024, Erica said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

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