दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला
नजरिया मिलावल भइल आज माहुर
खटाई भइल आज गौने क पाहुर
बन्हल गाँठ राजा छुड़ावल ना जाला
दियनवा जरा के बुझावल ना जाना
बिसरबा तू केतनो कबों ना भुलाई
पिया प्रीत ह ई कबों ना ओराई
जे पथरे क रेखा का कबहूँ मेटाला?
दियनवा जरा के बुझावल ना जाना
जे तोहरे विरह में अभागिन भइल बा
ई रिश्तन क बगिया जे बाझिन भइल बा
(बिना प्रेम-पानी के बाझिन भइल बा)
(सनेहिया के पानी से उजड़ल फुलाला)
सनेहिया के सिंचल से उजड़ल फुलाला
दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष यादव
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