For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुजरात चुनाव परीक्षा आखिर किसकी


कोई भी व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कार्यों से समाज में "नायक" अवश्य बन सकता है लेकिन वह  "नेता" तभी बनता है जब उसकी राजनैतिक महत्वाकांक्षा को राजनैतिक सौदेबाजी का समर्थन मिलता है।“
गुजरात जैसे राज्य के विधानसभा चुनाव इस समय देश भर के लिए सबसे चर्चित और "हाँट मुद्दा" बने हुए  है। कहा तो यहाँ तक जा रहा है कि इस बार के गुजरात चुनाव मोदी की अग्नि परीक्षा हैं।
लेकिन राहुल गाँधी राज्य में जिस प्रकार, जिग्नेश मेवानी, अल्पेश ठाकुर और हार्दिक पटेल के साथ मिलकर  विकास को पागल करार देते हुए जाति आधारित राजनीति करने में लगे हैं उससे  यह कहना गलत नहीं होगा कि असली परीक्षा मोदी की नहीं गुजरात के लोगों की है।
आखिर इन जैसे लोगों को नेता कौन बनाता है, राजनैतिक दल या फिर जनता?
देश पहले भी ऐसे ही जन आन्दोलनों से लालू और केजरीवाल जैसे नेताओं का निर्माण देख चुका है। इसलिए परीक्षा तो  हर एक गुजराती की है कि वो अपना होने वाला नेता किसे चुनता है विकास के सहारे भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए वोट मांगने वाले को या फिर जाति के आधार पर गुजराती समाज को बाँट कर किसी जिग्नेश, हार्दिक या फिर अल्पेश नाम की बैसाखियों के सहारे वोट मांगने वाले को।
परीक्षा गुजरात के उस व्यापारी वर्ग की है कि वो अपना  वोट किसे देता है उसे जो पूरे देश में अन्तर्राज्यीय  व्यापार और टैक्सेशन की प्रक्रिया को सुगम तथा सरल बनाने की कोशिश और सुधार करते हुए अपने काम के आधार पर वोट मांग रहा है या फिर उसे जिसने अभी तक देश में तो क्या अपने संसदीय क्षेत्र तक में इतने सालों तक कोई काम नहीं किया लेकिन अपने राजनैतिक प्रतिद्वन्दी द्वारा किए गए कामों में कमियाँ  निकालते हुए समर्थन मांग रहे हैं।
परीक्षा तो उस पाटीदार समाज की भी है जिसका एक गौरवशाली अतीत रहा है, जो शुरू से ही मेहनत कश रहा है, जिसने देश को सरदार वल्लभ भाई पटेल, शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति लाने वाले माननीय केशवभाई पटेल,लगातार  31 घंटों तक ड्रम बजाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली एक 23 वर्षीय युवती,  सृष्टि पाटीदार , विश्व के मानचित्र पर देश का नाम ऊँचा करने वाली  ऐसी ही अनेक विभूतियाँ देकर देश की प्रगति में अपना योगदान दिया है। लेकिन आज वो किसका साथ चुनते हैं, उसका जो उन्हें स्वावलंबी बनाकर आगे लेकर जाना चाहता है या फिर उसका जो उन्हें पिछड़ी जातियों में शामिल करने और आरक्षण के नाम पर एक हिंसक आन्दोलन का आगाज करते हुए कहता है  "यह एक सामाजिक आंदोलन है जिसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है "  लेकिन पहले ही चुनावों में पाटीदार समाज के अपने फौलोअरस को  वोट बैंक से अधिक कुछ नहीं समझते हुए कांग्रेस से हाथ मिलाकर "अपने राजनैतिक कैरियर" की शुरुआत करके अपनी महत्वाकांक्षाओं  को पूरा करने की कोशिश में लग जाता है।
परीक्षा तो गुजरात की जनता की यह भी है कि वह राहुल से इस प्रश्न का जवाब मांगें, कि कांग्रेस के पास ऐसा कौन सा जादुई फार्मूला है जिससे कुछ समय पहले तक अलग अलग  विचारधाराओं का नेतृत्व करने वाले हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश तीनों को वो अपने साथ मिलाने की क्षमता रखती है?  क्योंकि जहाँ एक तरफ हार्दिक का मुद्दा ओबीसी कोटे में आरक्षण का है वहीं दूसरी तरफ अल्पेश ओबीसी कोटे में किसी दूसरी जाति को आरक्षण देने के खिलाफ हैं। जबकि जिग्नेश दलित उत्पीड़न रोकने के लिए जिस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं वो उन्हीं जातियों के विरुद्ध है जिनका नेतृत्व हार्दिक और अल्पेश कर रहे हैं। यह तो समय ही बताएगा कि गुजरात का वोटर अपनी इस परीक्षा में कितना विजयी होता है और राजनैतिक स्वार्थों से उपजी इस एकता के पीछे का सच समझ पाता है कि नहीं।
क्योंकि आज पूरे देश में  जब हर जगह पारदर्शिता का माहौल बन रहा है तो देश को राजनीति में पारदर्शिता का आज भी इंतजार है। आखिर राहुल गांधी और हार्दिक पटेल की मीटिंगस में इतनी गोपनीयता क्यों बरती गई कि सीसीटीवी फुटेज  सामने आने के बावजूद हार्दिक इन मुलाकातों से इनकार करते रहे? 
जिस गठबन्धन के आधार पर राहुल गुजरात की जनता से वोट मांगने निकले हैं, उस गुजरात की परीक्षा है कि वोट देने से पहले हर गुजराती 'इस गठबंधन का आधार क्या है ' इस प्रश्न का उत्तर राहुल से जरूर पूछे।
कांग्रेस के लिए यह बेहतर होता कि जिस प्रकार  मोदी गुजरात के लोगों से बुलेट ट्रेन, सरदार सरोवर डैम,आई आई टी के नए कैम्पस, रो रो फेरी सर्विस जैसे कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं वह भी अपने द्वारा किए गए कार्यों के आधार पर वोट माँगती लेकिन उसके पास तो जीएसटी और नोटबंदी की कमियों को गिनाने  के अलावा  कोई भी न तो मुद्दा है और न ही कोई भविष्य की योजना।
अपनी इस कमी को जातियों और आरक्षण के पीछे  छिपाने की रणनीति अपनाकर राहुल और कांग्रेस दोनों ही गुजरात को कहीं बिहार समझने की भूल तो नहीं कर रहे ?
जहाँ बिहार को नेताओं के स्वार्थ ने जातिगत राजनीति से कभी भी उठने नहीं दिया, वहाँ गुजरात के लोगों  को मोदी ने 2001  से लगातार जातियों को परे कर  विकास के मुद्दे पर एक रखा।
रही बात ऐँटी इन्कमबेन्सी फैक्टर की, तो यह फैक्टर वहीं काम करता है जहाँ लोगों के पास औपशनस या फिर विकल्प उपलब्ध हो लेकिन आज गुजरात तो क्या पूरे देश में मोदी का कोई विकल्प नहीं है क्योंकी किसी समय देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रही कांग्रेस के राहुल गांधी तो ‘अपने जवाबों के सवाल’ में ही उलझे हैं।
और शायद गुजरात की जनता भी इस बात को जानती है कि असली परीक्षा उनकी ही है क्योंकि आने वाले समय में उनके द्वारा दिया गया जवाब केवल गुजरात ही नहीं बल्कि 2019 में देश का भविष्य तय करने में भी निर्णायक सिद्ध होंगे।
डाँ नीलम महेंद्र

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 390

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service