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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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शिवपूजन लाल विधार्थी के एगो ग़ज़ल

  अब दिनों अन्हार लागत  बा हर साँस दुस्वार लागत  बा   नाव कइसे पार लागी जब साहिले मझधार लागत  बा   आज ढाकल मोसकिल बाटे आँचर तार- तार लागत  …

Started by Santosh Kumar

0 Jan 31, 2011

नूर मुहम्मद नूर जी के एगो ग़ज़ल

युवा स्वर : नूर मुहम्मद नूर जी के एगो ग़ज़ल  पानी    पागल बना रहल बा पानी जरा  रहल बा   पानी उठा रहल बा पानी गिरा रहल बा   औंधी तलक से भींज…

Started by Santosh Kumar

0 Jan 31, 2011

तोहरे से हम प्यार करेनी ,

M , तोहरे से हम प्यार करेनी , तोहे जिया में बसाइब हो , तू हमर हाउ हमरे रहबू , ना त अगिया लगाइब हो , F, हम तोहर जागीर ना हाई , हम इ तोहसे बत…

Started by Rash Bihari Ravi

3 Jan 17, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

"बस तोहरे खातिर"

लिखत बानी कविता बस तोहरे खातिर,दिवाना भइनी त बस तोहरे खातिर,केहु के ना देखी अब ई नजर,नजर तरसी भी त बस तोहरे खातिर, हर साँस के साथ करेम याद…

Started by Raju

2 Jan 17, 2011
Reply by Raju

प्रीत के रीत निभईह सजना ,(Directed by OBO Member Mr. Abhishek Tiwari)

फिल्म का नाम- प्रीत के रीत निभईह सजना ,निर्माता- स्पेड मीडिया ऐंड इंटरटेनमेंट ,निर्देशक- अभिषेक तिवारी(OBO Member)  सह निर्देशक- सुनील गुप्…

Started by PREETAM TIWARY(PREET)

1 Jan 17, 2011
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

उलझन

मिलेलऽ जब तु होठ सट जाला अइसेरात के अधखिलल फूल हो जइसे,चाह के भी  ना हिल पावेला ईतोहसे हम कुछ कही कइसे,पल-पल झपकत रहेला पलक हमारईशारा से भी…

Started by Raju

1 Jan 17, 2011
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

तोहरा बिना पिया हो दुनिया बेकार बा ,

तोहरा बिना पिया हो दुनिया बेकार बा , आजा तू परदेसी जे हमारा से प्यार बा , फागुन बितल रंग ना चढ़ल हमरा ऊपर , लागत बा की रंगवा के तोहरे इंतजा…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Jan 15, 2011
Reply by Rash Bihari Ravi

सोची ले ,

सोची ले , इ सभ बात के जीवन में उतार ली , जवना के वजह से , राम पुरुषोतम भाईले , हरिश्चंद उत्तम भाईले , परसुराम के जवान ताकत बनल , धर्मराज जव…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Dec 31, 2010
Reply by Santosh Kumar

रे बदरा तू मत आ रे ,

रे बदरा तू मत आ रे , अइहे मोरे सजनवा रे , हो जाई मन में हलचल , जब संगे चलिहे सजना रे , बड़ी मुस्किल से उ कहले , आज मिलन के बेला बा , तू जे…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Dec 31, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

हम के बानी ?,

हम के बानी ?, इहे सोच के , बिचार के , परेशान बानी , अब कुछुओ नइखे सूझत , हम बेकार बानी , हम के बानी ?, मन कहलस हम पंडित , हमरा बात में दम…

Started by Rash Bihari Ravi

1 Dec 27, 2010
Reply by Neet Giri

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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

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