For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

केतना खुसी के बाति बा की काल्ह की बंद से महँगाई घटि गइल. हाँ भाई...काँहें हँसतानि..घटल नइखे का? खैर हो सकेला रउरा खातिर ना घटल होखे पर ए बंद से हमार महँगाई त घटि गइल मतलब हमरा त बहुते फायदा भइल. अब सुनीं बतावतानी-
काल्ह सबेरवें-सबेरवें रामखेलावन भाई अइने अउर हम से कहने, “का हो चिघारू भाई, का हालि बा?” हम कहनी, “कुछ ना भाई. लागता महँगाई जिए ना दी. आजु लागता कामो पर जाए के ना मिली.” हमार एतना बाति सुनि के रामखेलावन भाई त लगने जोर-जोर से हँसे. हम कहनी, “हमार आफति में परान बा अउर तोहरा हँसल नीक लागता.” ए पर रामखेलावन भाई कहने, “भाई चिघारू, तोहार कवनो जबाब नइखे. हमरा इ ना बुझाला की तूँ कवने दुनिया में रहेलS?” हम कहनी, “हम समझनी ना.” “त ल सुनS, हम सुनावतानी”, एतना कहि के रामखेलावन भाई सुरु हो गइने. “अरे भाई महँगाइए के ले के त आजु भारत बंद के नारा बुलंद करे के बा. देखS आजु की बाद महँगाई कवनेगाँ दुम दबा के भागि जाले.” हम कहनी, “भाई, ए बंद-ओंद से कवनो फायदा ना होई. इ सब ओट के राजनीति हS. ए से नोकसान जनते के होई. ए में गरीब जनता ही पीसी.”
हमरी एतना कहते त रामखेलावन भाई आग-बबूला हो गइने अउर मुँह फूला के कहने, “तूँ त खालि अपने धुनबS, हमार बात त मनबS ना, जा जवन बुझा उ करS, अब हम तोहके ना समझाइबि.” अरे अबहिन हमार अउर रामखेलावन भाई के बात चलते रहे तबलेकहिं मलिकाइनियो घर में से निकलि अइली अउर आवते घुँघुट काँड़ि के रामखेलावन भाई से कहली, “इहाँ के कबो केहू के बात मनले बानी की आजु राउर मानबि.” हम कहनी, “अब तूँ का बीचे में कूदि पड़लू. (रामखेलावन भाई की ओर देखि के) बतावS रामखेलावन भाई, का करे के कहत रहलS हS.”
रामखेलावन भाई कहने, “हम तS तोहार महँगाई कम करे आइल रहनी हँ.” तब हम कहनी, “तS कS दS.” हमार इ बाति सुनि के रामखेलावन भाई एगो लंबा-चवड़ा भासन दे देहने. उ हमसे कहने, “आजु तूँ काम पर मति जा. बिहने आफिस में कहि दिहS की कवनो सवारी ना मिलल ए से हम आफिस ना आ पवनी. ए तरे तोहार हाजिरियो लागि जाई अउर आजु की दिन के तनखाहो ना कटी। अउर हाँ तहरी साहबो के पता बा की आजु भारत बंद बा। तूँ हमरी साथे आवS, हम तोहके आजु खिआइबि-पिआइबि अउर दु सौ रुपयो देइबि।” रामखेलावन भाई के बाति सुनि के हमरा बहुत अचंभा भइल अउर खुसी भी। अब हमरा बुझात रहे की इ त सही में हमार महँगाई कम हो रहल बा। आजु आफिसो ना जाए के परी अउर फीरिहा खइले-पियले की बाद दु सौ रुपयो मिली।
हम झट से तइयार हो के रामखेलावन भाई की साथे चलि देहनी। अरे इ का हमनीजान ज्यों-ज्यों आगे बढ़े लगनीजान, हमनीजान की साथे अउर लोग भी जुड़े लागल. देखते-देखत एगो मजिगर भीड़ हो गइल।
हम भीड़ में रामखेलावन भाई की साथे एकदम आगे रहनी अउर बंद की खिलाफ नारा लगावत रहनी। भीड़ दुकान-सुकान बंद कराबत, तोड़-फोड़ करत आगे बढ़त रहे...अरे भाई हम त एगो दोकानदारे के दु चटकन मारि के दु-चारिगो साबुनो ओकरी दोकानी में से ले के एगो झोरा में ध लेहनी। अब हम बहुत खुस रहनी काँहे की अब हमरा बुझात रहे की हमार मँहगाई कम हो रहल बा।
आगे बढ़ले पर एगो आदमी लउकल. उ साइकिल पर सवार रहे अउर कुदारी लटकवले रहे। भीड़ के देखते उ साइकिल पर से हड़बड़ा के उतरि गइल अउर रस्ता से किनरिया गइल। हम दउड़ि के ओकरी लगे पहुँचनि अउर कहनी, “का हो सरऊ, आजु तोहरा मालूम नइखे की महँगाई की खिलाफ पूरा भारत बंद बा.” एतना कही के हम ओकरी साइकिल में से हवा निकाले लगनी अउर तवलेकहीं भीड़ में से दु-चार आदमी आगे बढ़ि के ओके थपरियावे लागल। उ मनई साइकिल छोड़ि के घिघियाते कहलसि, “हमरा दु गो छोटे-छोटे लइका बानेसन अगर हम काम पर ना जाइबि त हमरी घरे चूल्हि ना जरी।” ओकर इ बाति सुनि के हम एक चटा लगवनी अउर कहनी, “अरे भकचोनरा, एक दिन तोर लइका खइहेंकुलि ना त ठीके बा न..महँगाई कम होई.” एकरी बात ओ मनई के घिघियात छोड़ि के हम भीड़ की साथे आगे बढ़ि गइनी।
साझिखान ओ दु सौ रुपया में से 100 रुपया के मुरगा ले अइनी अउर मलिकाइन से कहनी की आजु मुरगा-भात खाइल जाई. तबलेकहीं रामखेलावनो भाई एगो देसी अद्धा ले आके दे गइने अउर कहि गइने की खइले-पियले की बाद ए के ले के आराम से सुति जइहS.
रातिखान खात समय हमार लइका कहलसि, “बाबूजी, केतना अच्छा बा. रोज बंद रहे के चाहीं. हमरा इस्कूले ना जाए के परी अउर रोजो मुरुगा खाए के मिली.” हम अपनी लइका की बाति पर धेयान ना देहनी अउर खइले-पियले की बाद अद्धा मारि के सुते चलि गइनीं।
अरे इ का हम लाख कोसिस करीं पर निंदिए ना आवे. बार-बार ओ गरीब मजदूर के चेहरा आँखि तर आके घुमि जा. ओकर घिघिआइल मोन परे. हमार सिर घुमे लागल, हम सोंचे लगनी की आजु हम त मुरुगा कइनी हँ पर हमरी चलते केतने गरीबन किहाँ चूल्हि ना बराइल होई. जवन भी नोकसान भइल, बस आदि फुँकाइल, दोकानि आदि लुटाइल का ए से मँहगाई कम हो जाई? हमरिए तरे आजु नेतो हिंकभर खा के पटा गइल होइहेंसन.
का महँगाई कम कइले के इहे एगो तरीका बा. ए में त गरीब जनता ही पिसातिया. ए बंद से का मिलल भारत के अउर भारत की जनता के. इ सवाल हमरी मन में घुमे लागल. ए बंद से हमरी भारत के केतना नोकसान भइल. हमनीजान विकास की छेत्र में केतना पीछे घसकि गइनीजां. इ नेता ओट के राजनीति क के आपन उल्लू त सीधा क लेहनेसन पर बरबादी भारते के भइल, भारत की जनते के भइल अउर एकर परिनाम इ होई की कवनो भी पारटी के सरकार आई उ महँगाई रोक ना पाई, ओकरा त ए सब के भरपाई करे खातिर महँगाई बढ़ावहीं के परी।
भगवान सदबुद्धि दें भारत की नेता लोगन के अउर ए नेतन की पिछलग्गु लोगन के। अरे भाई जइहा हर भारतवासी भारत की बारे में, जनता की बारे में सोंचे लागी ओहिदिने महँगाई, भस्टाचार, गरीबी, छेत्रवाद, निरछरता आदि के दुम दबा के भागे के पड़ी। कांहे की जइया कवनो भी नेता ओट से ऊपर हो के सोंची, भारत की बिकास के लेके के सोंची, भारत की जनता की हित में काम करे लागी...ओही दिन गाँधीजी की रामराज के सपना साकार हो जाई।। साकारात्मक सोंची, देस अउर समाज की बारे में सोंची. जय हिंद। जय भारत।।


प्रभाकर पाण्डेय, “गोपालपुरिया”

Views: 741

Replies to This Discussion

प्रभाकर भईया रौवा त इ कहानी लिख के आज कल के होखे वाला बंद आ हड़ताल के असली चेहरा उजागर कर दिहनी , दरअसल सच्चाई इहे बा, जवन पार्टी मुख्य रूप से बंद करावे मे सक्रिय रहल उ भुला गइल का की जब ओकर सरकार रहे त हर 15 दिन पर desal आ petrol के दाम बढ़ जाये, हा फरक एतने रहल की ५ रूपया बढ़ा के २ रूपया घटा देत रहन सन, और त और रामखेलावन काका निमक पर भी मार करा देहले रहन,

बहुत सुंदर व्यंग लिखले बानी भईया बधाई स्वीकार करी , जय हो ,
bahut badhia khubsurat byang ba

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service