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बतकही ( गपसप )


मोड़ पर लछुमन भाई के चाय दुकान पर चार पाच गो लईका, अब लईका कहल ठीक ना कहाई, काहे से कि वो में से दू तीन गो के शादियों हो गइल बा, आपस में बात करत रहूअन सन तले हमहू उहा पहुच गइनी, हमरा के देखते सब एके संगे प्रणाम गुरु जी कहूअन सन, आउर हमहू जबाब में अशीरवाद देईये दिहुवी, अब हमरा पहुचला से वो लोग के बतकही पर बिराम लाग गइल रहे से उ लोग उठ के जाये लागल लोग त हम कहनी का भइल ?  त लछुमन भाई कहले बाबा जानत नईखी इ लोग बिना मतलब के बकवास करत बा लोग रउरा अईला से ये लोग के बकवास के कलई खुले के डर हो गइल, तबे एक जाना कहले गुरु जी राउये बताई की हम का गलत  कहत बानी, त हम कहनी तू इ बतइबा कि का कहल हा तबे नु कुछ बोल पायेम, तबे दूसरा जाना कहले बाबा इ बकवास करत बा की १३ तारीख अशुभ ह, त हम कहनी की इ त हमू सुनले बानी, गुरु जी पूरा बात सुनी ओकरा बाद राउआ कुछ बोली, उ हमके टोकले हम कहनी सुनाव, उ फिर बोले लागले, बाकिर अब इ अशुभ ना रही कारण १३ तारीख के लोग कहत बा की अबकिर दीदी मुख मंत्री बन जईहन, त हम कहनी दीदी मुख मंत्री बन जईहन उनकर खातिर शुभ हो जाई बाकिर लाल पार्टी के खातिर ता अशुभ भइल न भाई, फटाक दे दुसरका जाना कहले हमू त इहे कहत बानी गुरु जी, तभी पहिलका जाना कहले गुरु जी मार्क्स बादी लेनिन बादी कबो शुभ - अशुभ मनबे न कइल लोग ता वो लोग खातिर अशुभ कहा भइल, हा अगर दीदी के पार्टी हार जाता त इ जरुर अशुभ हो जाई, हमरा इ ठीक बुझाइल आउर सब लाईका कहलन सन की देखल जाव अबकिर १३ तारीख शुभ होत बा की अशुभ होत बा, हम चाय पिअनी आउर पईसा देके चल देनी तबे पीछे से सब लईकन के आवाज़ आइल प्रणाम गुरु जी |

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Replies to This Discussion

इहो निकहा समुझल बतकूचन रहे.

तेरह तऽ सूभे हो गइल दीदी खातिर. 

सुभे सुभ के मगनवाँ सुभे हो सुभे.

सांच हो गईल... बतकही में ही भविष्य बता देनी

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