For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्नी:-
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरही में रहेलs लजात नईखs काहे,

तीज के त्यौहार बा नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,

सास ससुर जी हमके ताना मारेले,
निठलुआ के मेहsर ननदी कहेले,
जहर बोले देवरा रोकत नईख काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,


पति:-
मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,


पत्नी:-
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरही में रहेलs लजात नईखs काहे,


पति:-
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,

************************************

हमार पिछुलका पोस्ट => बाबूजी सिखवले ( भोजपुरी गीत )

Views: 2356

Replies to This Discussion

बहुत बहुत धन्यवाद नविन भईया, भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने गीत को समझा और अपना बहुमूल्य टिप्पणी दिया, मेरा गीत लिखना सार्थक हो गया,
गणेश जी,
क्षमा चाहता हूँ कि हमें भोजपुरी नहीं आती. बल्कि गीत का मतलब तो समझ गए थोडाबहुत...

तीज के त्यौहार नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
---मस्त है

सास ससुर जी हमके ताना मारेले,
निठलुआ के मेहsर ननदी कहेले,
जहर बोले देवरा रोकत नईख काहे,
और
मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,

---- बेटी अपनी ससुराल क़ी हकीकत बखूबी बयान कर रही है....
गीत बहुत अच्छा लगा... विषय और भावनाएं
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अरविन्द चौधरी जी, भोजपुरी भाषी न होते हुए भी आपने गीत को समझने का प्रयास किये बहुत ही सराहनीय है, यह गीत एक बेरोजगार पति और उसकी नव विवाहिता पत्नी के मध्य संवाद है |
sir ji sabd naikhe i raur geet bada badhia banal ba hamara kam layak samjhi ki ye taip ke gana ke jarurat paral ta pahila pasand,
गुरु जी इ त रौवा सब के प्रेरणा के असर बा जवन हम कुछ लिख लेनी, वैसे इ गीत के जरूरत पर और विस्तार देवल जा सकत बा, गीत पसंद करे खातिर धन्यवाद,
अरे वाह रे गणेश भैया रौआ त कमाल कर देनी !आ धोती के फाड़ के रुमाल कर देनी !!
आज हमणि के छेत्र मे लगभग हर घर मे ई बात कहे वाला या गावे वाला औरत मिल जाइहे !एक तरफ ई रऔर ई कविता बॉल विवाह के कोष रहल बा वही दूसरी तरफ समाज के तंग मानसिकता के जे कम उम्र मे ही आपन बेटा के विवाह बाबूजी लोग कर देत बडन जा .
रत्नेश भाई अगर साच पूछी त इ गीत काल्पनिक नइखे बल्कि आखों देखल सत्य घटना पर आधारित बा, गीत पसंद करे खातिर धन्यवाद,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,
घरे में रहेलs लजात नईखs काहे,

तीज के त्यौहार नया लुगा चाही,
सोहाग सिंगार कईसे मेहंदी लगाईं,
दोसरो के देख शौकियात नईखs काहे,
भईल बियाह कमात नईखs काहे,

गणेश जी, राउर कविता पढ़ के मुँह से अपने मने "वाह" निकलता । एगो बेरोजगार के नवोढ़ा के मन के कइसन उद्गार हो सकेला एकर बखूबी वर्णन कइले बानी - संक्षिप्त बाकिर सटीक । "वाह !"
बहुत बहुत आभार नीलम दीदी, रौआ इ गीत के आशीर्वाद देहनी ह, कमोबेस आज भी गाँव घर मे इ सब देखे के मिल जात बा, एह रचना के पीछे भी एगो ऐसने घटना छुपल बा,
आदरणीय गणेश जी ,
प्रणाम आपका भोजपुरी गीत फाँस मे साँस पड़ल एक ऐसे नवयुवक का चित्रण कर रहा है , जो अभी अध्ययन कर रहा है | तथा जिसकी कम उम्र में शादी हो गयी इस गीत के माध्यम से आपने यह बताया है की कम उम्र में शादी करने का क्या परिणाम होता है | तथा समाज की कुछ तुछ मानसिकता वाले लोग अपने बेटे की शादी कम उम्र में कर देते है , जो की ठीक नही है | आपका यह गीत उन लोगो के लिए है , जो की मानसिक दृष्टी से सोये हुए है | आपका यह गीत जागरण गीत है | आपका यह गीत मुझे बहुत बढिया लगा | गीत की कुछ पक्तिया बहुत अच्छी लगी - मना करत रहनी बाबूजी ना मनले,
पढ़े के उमिरिया में बियाह करवले,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे,
फाँस मे साँस पड़ल बुझत नईखु काहे,
हाथ गोड़ सिकोड़ चलत नईखु काहे, आपको बढिया गीत लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करे |
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया पूजा सिंह जी,जब इस तरह की उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ रचना पर प्राप्त होती हैं तो और भी लिखने की प्रेरणा मिलती है, आप तो खुद अच्छी लेखिका है, पुनः धन्यवाद आपका ,
Bahut Khub ,abhibhut kaini,
Humni ke samaj ke vastawik chitran aap aapan gana ke madhyam se kaile bani | E abhi bhi humni ke samaj me ho rahal ba joun ki sara sar galat ba | Raur gana ke har line me SAMAJ khatir sandesh ba.
Dhanyabad,
Bijay Pathak

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
28 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service